For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: मिलन अपना नहीं संभव जुदाई में समस्या है

बहर: हज़ज़ मुसम्मन सालिम

१२२२, १२२२, १२२२, १२२२

मिलन अपना नहीं संभव जुदाई में समस्या है,

अधूरी प्रेम की पूजा कठिन दिल की तपस्या है,

लगे जो ठीक तुझको कर समर्पित है तुझे जीवन,

नमन तुझको हमेशा दिल तेरी करता नमस्या है,

अमावश सी अँधेरी रात चाहत के घरौंदे में,

बिछी आँगन में काँटों से बनी कोई पयस्या है,

उठा तूफान भीषण टूटके बिजली गिरी दिल पर,

भरा सागर दुखों का है बही गम की रहस्या है,

हुई है वर्फबारी गर्म यादों पर निगाहों की,

लगी दीवार पे दिल की हुई कच्ची वयस्या है.

शब्दार्थ

नमस्या : पूजा, पयस्या : घास

रहस्या : नदी, वयस्या : ईंट

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1037

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 1, 2013 at 12:46am

प्रिय अनंत जी ..सीखने को नए  शब्द ..और बेहतरीन भावों को संजोये ..... बढ़िया ग़ज़ल ......जय हिन्द

जय श्री राधे
भ्रमर ५

Comment by vijay nikore on August 30, 2013 at 11:23am

अति सुन्दर, बधाई आदरणीय अरून जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 28, 2013 at 3:35am

उठा तूफान भीषण टूटके बिजली गिरी दिल पर,

भरा सागर दुखों का है बही गम की रहस्या है,.........वाह! क्या कहने, जानलेवा शेर
बहुत बहुत खुबसूरत गजल , दिली दाद कुबूल कीजिये आदरणीय अरुण अनंत जी

Comment by वेदिका on August 27, 2013 at 11:59pm

खूबसूरत और चुने हुए शब्द आपने खोजे और हमें इनसे अवगत कराया एक सुंदर सी गजल का रूप देकर| 

आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय अरुण अनंत जी!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 27, 2013 at 9:26pm

प्रिय अरुण जी 

पहले शेर ने ही मुग्ध कर दिया ...

मिलन अपना नहीं संभव जुदाई में समस्या है,

अधूरी प्रेम की पूजा कठिन दिल की तपस्या है,

बहुत खूबसूरत गज़ल 

चुन चुन के हमकवाफी शब्द सम्मिलित किये हैं आपने...इसके लिए विशेष बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 27, 2013 at 5:15pm

हार्दिक आभार आदरणीया वंदना जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 27, 2013 at 5:15pm

हार्दिक आभार आदरणीया वसुधंरा पाण्डेय जी स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 27, 2013 at 5:15pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय बृजेश भाई जी आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 27, 2013 at 5:14pm

हार्दिक आभार केवल भाई स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 27, 2013 at 5:14pm

हार्दिक आभार आदरणीय श्याम नारायण जी भाई राम शिरोमणि पाठक जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service