For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : कहानी तुम अमर कर दो

बहर : हज़ज मुरब्बा सालिम
१२२२, १२२२

दिवाना दिल जिगर कर दो,
इधर भी तो नज़र कर दो,

फलक से चाँद लाऊं मैं,
इशारा तुम अगर कर दो,

अकेले रास्ता मुश्किल,
सुहाना तुम सफ़र कर दो,

हजारों मैं ग़ज़ल कह दूँ,
सरल थोड़ी बहर कर दो,

पिला दो हाँथ से अपने,
सुधा बेशक जहर कर दो,

मुहब्बत मैं अजय कर दूँ,
कहानी तुम अमर कर दो...

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 674

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2013 at 3:07pm

मतला तो यूँ-यूँ सा लगा मग़र आगे अशार जमते गये हैं. 

बधाई स्वीकारें

Comment by vijay nikore on August 7, 2013 at 10:33am

आदरणीय अरुन जी:

 

इस खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on August 5, 2013 at 9:56pm

फलक से चाँद लाऊं मैं,
इशारा तुम अगर कर दो |  


भई क्या कहने ! वाह वाह अरुण भाई !
बढ़िया गजल !

Comment by Vinita Shukla on August 5, 2013 at 9:10pm

फलक से चाँद लाऊं मैं,
इशारा तुम अगर कर दो,' सुंदर जज्बातों का, खूबसूरत इज़हार. बधाई.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 5, 2013 at 8:44pm

अरुण जी 

पिला दो हाँथ से अपने
सुधा बेशक जहर कर दो,....क्या दीवानगी है .मुहब्बत के इस जज्वे को सलाम ..बहुत खूह 

Comment by Vasundhara pandey on August 5, 2013 at 7:21pm
वाह ,बहुत सुन्दर गजल अरुण !
Comment by Meena Pathak on August 5, 2013 at 1:50pm

बहुत सुन्दर गज़ल .. हार्दिक बधाई स्वीकारें 

Comment by Ketan Parmar on August 5, 2013 at 12:46pm

आदरणीय अरुण  जी ,सुन्दर गजल के लिए  बहुत बहुत बधाई...शुभकामनाये

Comment by बसंत नेमा on August 5, 2013 at 10:59am

आदरणीय अरुण  जी ,सुन्दर गजल के लिए  बहुत बहुत बधाई...शुभकामनाये 

Comment by Abhinav Arun on August 5, 2013 at 5:50am

हजारों मैं ग़ज़ल कह दूँ,
सरल थोड़ी बहर कर दो,

पिला दो हाँथ से अपने,
सुधा बेशक जहर कर दो,

मुहब्बत मैं अजय कर दूँ,
कहानी तुम अमर कर दो...

लाजवाब अशआर है आदरणीय वाह वाह बहुत खूब , हार्दिक बधाई आपको श्री अरुण जी  !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
9 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
9 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"ओह!  सहमत एवं संशोधित  सर हार्दिक आभार "
58 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"जी, सहमत हूं रचना के संबंध में।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"शुक्रिया। लेखनी जब चल जाती है तो 'भय' भूल जाती है, भावों को शाब्दिक करती जाती है‌।…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, नए अंदाज़ की ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके संकल्प और आपकी सहमति का स्वागत है, आदरणीय रवि भाईजी.  ओबीओ अपने पुराने वरिष्ठ सदस्यों की…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपका साहित्यिक नजरिया, आदरणीय नीलेश जी, अत्यंत उदार है. आपके संकल्प का मैं अनुमोदन करता हूँ. मैं…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"जी, आदरणीय अशोक भाईजी अशोभनीय नहीं, ऐसे संवादों के लिए घिनौना शब्द सही होगा. "
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सुशील सरना जी, इन दोहों के लिए हार्दिक बधाई.  आपने इश्क के दरिया में जोरदार छलांग लगायी…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"माननीय मंच एवं आदरणीय टीम प्रबंधन आदाब।  विगत तरही मुशायरा के दूसरे दिन निजी कारणों से यद्यपि…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"आप पहले दोहे के विषम चरण को दुरुस्त कर लें, आदरणीय सुशील सरना जी.   "
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service