For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम प्रेम प्रतिज्ञा भूल गई

तुम प्रेम प्रतिज्ञा भूल गई,

मैं भूल गया दुनिया दारी,

पहले दिल का बलिदान दिया,

हौले - हौले धड़कन हारी.

खुशियाँ घर आँगन छोड़ चली,

तुम मुझसे जो मुँह मोड़ चली,

मैं अपनी मंजिल भटक गया,

इन दो लम्हों में अटक गया,

मुरझाई खिलके फुलवारी,

हौले - हौले धड़कन हारी.

मन व्याकुल है बेचैनी है,

यादों की छूरी पैनी है,

नैना सागर भर लेते हैं,

हम अश्कों से तर लेते हैं,

हर रोज चले दिल पे आरी,

हौले - हौले धड़कन हारी...

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 566

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 8, 2013 at 4:50pm

हृदयतल से हार्दिक आभार आदरणीय जीतेंद्र भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 8, 2013 at 4:48pm

हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 8, 2013 at 4:47pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय विजय सर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 8, 2013 at 4:19pm

"मन व्याकुल है बेचैनी है,

यादों की छूरी पैनी है,

नैना सागर भर लेते हैं,

हम अश्कों से तर लेते हैं,".......... मर्म को छू लेने वाली पंक्तियाँ , सच! यादों में जीवन बिताना बहुत दुःख दायी  है, सिर्फ रोना ही रोना है  

आदरणीय अरून अनंत जी, विरह की वेदना, को स्पष्ट बताती हुयी रचना पर, हार्दिक बधाई  

Comment by बृजेश नीरज on August 7, 2013 at 8:39pm

बहुत ही सुन्दर! मजा आ गया! आदरणीय अरुन भाई हार्दिक बधाई!

Comment by विजय मिश्र on August 7, 2013 at 12:41pm
अरुनजी , बहुत मधुर है आपकी यह रचना . हार्दिक बधाई .
Comment by अरुन 'अनन्त' on August 7, 2013 at 10:15am

आदरणीय एडमिन महोदय सादर नमस्कार, मेरी इस रचना पर किसी कारणवश टिपण्णी बॉक्स बंद है कृपया खोलने की कृपा करें.

CTRL + Q to Enable/Disable GoPhoto.it
CTRL + Q to Enable/Disable GoPhoto.it

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"लोग क़ाबिज  अजीब हरक़त में वो दबाते  है   आँख    लानत में जो शऊर इक…"
49 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, प्रोत्सयाहन के लिए हार्दिक आभार।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय निलेश नूर जी, आपकी हर ग़ज़ल मुझे पसंद आती है हालांकि आपके शब्दकोश के कई शब्दों का अर्थ मैं…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करेंं। कुछ मिसरे तो अति सुंदर है।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करेंं।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय रिचा यादव जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करेंं।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करेंं।ग़ज़ल का मतला वैसे तो अच्छा है पर यह…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"रचना सार्वजनिक होने के बाद शायर की कहाँ रही.. आपकी हो गयी...आप जैसा चाहिए..सादर "
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"शुक्रिया आदरणीय, मैंने आपसे बहुत कुछ सीखा है और उम्मीद करता हूँ कि आगे भी बहुत देर और दूर तक ये…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service