For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौन शब्द
 
कहे और अनकहे के बीच बिछे
अवशेष  कुछ  शब्द  हैं  केवल,
शब्द भी जैसे हैं नहीं,
ओस-से टपकते शब्द
दिन चढ़ते ही प्रतिदिन
वाष्प बन उढ़ जाते हैं
और मैं सोचता हूँ ... मैं
आज क्या कहूँगा तुमसे ?
 
अनगिनत  भाव-शून्य  शब्द                                               
इस अनमोल रिश्ते   की  धरोहर,                                                                                            
व्याकुल प्रश्न, अर्थ भी व्याकुल
मिथ्या शब्दों की मिथ्या अभिव्यक्ति,
एक ही पुराने रिश्ते से रिसता
रोज़- रोज़ का एक और नया दर्द ...
बहता नहीं है , बर्फ़-सा
जमा रह जाता है।
 
फिर भी कुछ और मासूम शब्द
जाने किस तलाश में चले आते हैं,
उन  शब्दों  के  भावों से शराबोर 
मैं वर्तमान  को  भूल  जाता  हूँ ।
तुम्हारी उपस्थिति में हर बार
यह शब्द  नि:शब्द हो जाते हैं
और मैं कुछ भी कह नहीं पाता,
शब्द उदास लौट आते हैं।
 
तुम्हारी आकृति यूँ ही ख़्यालों में
हर  बार,  ठहर कर, खो  जाती  है,
और मैं  भावहीन  मूक  खड़ा
अपने शब्दों की संज्ञा में उलझा
ठिठुरता रह जाता हूँ ।
यह मौन शब्द
असंख्य  असंगतियों  से   घिरे
मुझको संभ्रमित छोड़ जाते हैं।
 
इन उदासीन, असमर्थ, व्याकुल
शब्दों की व्यथा
भीतर  उतर आती है,
सिमट  रहा  कुछ  और  अँधेरा
बाकी रात  में  घुल  जाता  है,
और उसमें तुम्हारी आकृति की
एक और असाध्य खोज में
यह शब्द  छटपटाते  हैं ... 
तुमसे  कुछ  कहने  को,  वह 
जो मैं आज तक कह न सका।
 
हाँ, तुमसे कुछ सुनने की
कुछ कहने की  जिज्ञासा
अभी  भी  उसी  पुल  पर
हर रोज़ इंतजार करती है।
             ---------
 
 -- विजय निकोर
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 936

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on January 30, 2014 at 1:25pm

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय लक्ष्मण भाई जी।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 25, 2014 at 6:25pm

मौन शब्द भले ही अनकहे रहे पर वे अधिक मुखरित होते है और इस बात की गवाह है आप ही की यह मनु शब्द रचना 

आदरणीय विजय निकोरे जी | मौन शब्दों में छिपी वेदना को पढ़ना और उसका अहसास करने की जिज्ञासा जितनी तीव्र 

होती है उतनी तीव्रता लिखे पड़े शब्दों में नहीं हो सकती | सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारे 

Comment by vijay nikore on January 24, 2014 at 12:44pm

आदरणीय योगराज भाई , 

 

आपका स्नेहसिक्त आशीर्वाद और मनोहारी भावाभिव्यक्ति

दोनो मेरा उत्साहवर्धन करते हैं। हार्दिक आभार स्वीकार करें।

 

सादर,

विजय निकोर


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 15, 2014 at 2:50pm

कहते हैं कि मौन शब्द सबसे अधिक चीत्कार करने मे सक्षम हुआ करते हैं. आपकी कविता भी इसी ओर इंगित करती है. जिस संवेदनशीलता से भावों को में पिरोया गया है उससे रचना निखर कर सामने आई है जिसे पढ़ते हुए आनद प्राप्त हुआ. इस सारगर्भित कविता पर आपको दिल से बधाई। 

Comment by vijay nikore on August 16, 2013 at 7:04am

आदरणीय अदित्य जी:

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार।

सादर,

विजय निकोर

Comment by Aditya Kumar on August 10, 2013 at 3:52pm

बहुत ही सुन्दर रचना! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by vijay nikore on August 8, 2013 at 10:48am

आदरणीया विनीता जी:

 

//बेहद भावप्रणव और संवेदनशील रचना. अभिव्यक्ति का सौन्दर्य, देखते ही बनता है.//

 

सराहना के इन अमूल्य शब्दों से इस रचना को आपका आशीर्वाद मिला,

मन आल्हादित हुआ। आपका हार्दिक धन्यवाद।

 

सादर,

विजय निकोर

 

 

 

Comment by Vinita Shukla on August 8, 2013 at 10:35am
'तुम्हारी उपस्थिति में हर बार
यह शब्द  नि:शब्द हो जाते हैं
और मैं कुछ भी कह नहीं पाता,
शब्द उदास लौट आते हैं।' बेहद भावप्रणव और संवेदनशील रचना. अभिव्यक्ति का सौन्दर्य, देखते ही बनता है. बधाई स्वीकारें आदरणीय.
 
Comment by vijay nikore on August 8, 2013 at 7:34am

आदरणीय अमन भाई:

 

//दिल की बात कलम तक ले आते है आप , 

भावनाओ के शाब्दिक करण आपकी कला है .....//
यह कह कर आपने मुझको जो मान दिया है, उसके लिए तहेदिल से आभार।
 
सादर,
विजय निकोर
Comment by vijay nikore on August 8, 2013 at 7:32am

आदरणीया वसुंधरा जी:

 

// शब्द नही लौट सकते कभी उदास..उन्हें उन तक पहुचना ही  होता है //

 

रचना को सारगर्भित संज्ञा देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीया |

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service