For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ होती है आदि गुरु
जीवन की दी प्राथमिक शिक्षा
बोलना सिखाया जिसने हमेँ
चलना सिखाया जिसने हमें
वो है माँ

होता है स्वर्ग का अहसास
माँ के ही आँचल में
मिलता है सुकून मन को
की जो माँ की निस्वार्थ सेवा
अपार कष्ट सहा जिसने
वेदना सही जिसने असीम
जन्म दिया फिर भी हमको
वो है माँ

परवाह नहीं की जिसने
अपनी भूख और प्यास की
अन्न पहुँचाया हमारे पेट
खुद पानी पीकर सो रही
हमको ना उसने भूखा सुलाया
वो है माँ

हमारी तकलीफ जिसने खुद झेली
हमको ना कष्ट कभी होने दिया
रातों की नींद गंवाई जिसने
हमारी लातें सही जिसने
वो है माँ

आनन्द ही आनन्द है
माँ की निस्वार्थ सेवा में
नहीं आए कपट मन में कभी
माँ की मनमोहनी मूर्ती के प्रति
आभारी हूँ ईश्वर का मैं
माँ की कोख में आने का अवसर दिया
मुझको लगती मेरी माँ प्यारी
छवी माँ की है सबसे न्यारी।
- सतवीर वर्मा 'बिरकाळी'

Views: 512

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on May 24, 2013 at 7:41pm
आ॰ Ashok Kumar Raktale जी, रचना पर अपने हस्ताक्षर करने और उत्साह बढाने के लिए धन्यवाद सा।
Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on May 24, 2013 at 7:39pm
आ॰ VISHAAL CHARCHCHIT जी, गलतियों की तरफ इशारा करके आपने मुझे मजबूर कर दिया कि मैं दोबारा से अपनी रचना का निरीक्षण करुं। अगर आप एक दो गलत शब्द भी बता देते तो मेरी परेशानी कुछ कम हो जाती। आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए महत्त्वपूर्ण है और आपके सुझाव पर अमल करुंगा। प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद सा।
Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on May 24, 2013 at 7:34pm
आ॰ अरुण शर्मा 'अनन्त' जी, आपके उत्साह वर्धन का मैं आभारी हूँ। आपको आगे भी इस मंच पर मेरी रचनाएँ पढने को जरुर मिलेंगी।
Comment by Ashok Kumar Raktale on May 21, 2013 at 10:43pm

आदरणीय सतवीर जी सादर, हर जीवन पर माँ की छाया को दर्शाती सुन्दर रचना. बधाई स्वीकारें.

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on May 20, 2013 at 2:20pm

कहीं - कहीं मात्राओं की गलती खटकी .......लेकिन भाव अच्छे है......!!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 20, 2013 at 1:45pm

आदरणीय सतवीर जी बहुत ही सुन्दर रचना है, इस तरह की रचनाओं में मुझे कोई कमी महसूस नहीं होती, अप्रितम और मनोहारी ही लगती, माँ के एहसास को अनुभूति को शब्दों में बाँधने की सुन्दर कोशिश की है आपने, परन्तु आदरणीय मैं समझता हूँ की केवल "माँ" शब्द ही इतना अमूल्य और अनन्त है कि शब्दों में पिरोना कठिन ही नहीं अपितु असंभव है. इस सुन्दर रचना हेतु मेरी ओर से बधाई स्वीकारें. आप की रचना पहली बार पढ़ रहा हूँ उम्मीद है आगे भी पढ़ने का सौभाग्य मिलता रहेगा. सादर.

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on May 19, 2013 at 9:57am
उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद आ॰ केवल प्रसाद जी।
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 16, 2013 at 8:50pm

आ0 विरकाळी जी, यह बात बिलकुल सच है कि - ’हमारी तकलीफ जिसने खुद झेली
हमको ना कष्ट कभी होने दिया
रातों की नींद गंवाई जिसने
हमारी लातें सही जिसने
वो है माँ’....... बधाई स्वीकारें। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service