For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारतीय सनातन संस्कृति का ह्रास

साँस लेता हूँ जब
उठती है कसक सीने में
ज्वार उठता है
ज्वाला धधकती है
दब जाता हूँ मैं
राख के ढेर तले
सनातन संस्कृति की राख
दिखलाई देते हैं
संस्कृति के भग्न अवशेष
अटक जाती हैं साँसें
अवसान देखकर
सनातन संस्कृति का

समृद्ध संस्कृति थी कभी
भारतीय सनातन संस्कृति
सम्भाल नहीं पाए
भारतीय भाग्य विधाता
आक्रमणकारी आए विदेशी
रौंदने लगे पैरों तले
भारतीय सनातन संस्कृति
हूण आए, कुषाण आए
यमनी भी आए
पहुँचाते रहे नुकसान
राजा बने भारतीय प्रजा के
अपनी संस्कृति लागू की
पर उन्होँने नहीं मिटाई
भारतीय सनातन संस्कृति
और फिर वे घुल गये
भारतीय समाज में
जैसे घुलती है
शक्कर पानी में
नुकसान किया बहुत
पर फिर भरपाई भी की

फिर आए तुर्क, मंगोल
और मुगल आक्रमणकारी
संग लाए अपने तबाही
लूटा सनातनियों को
मारकाट किया
तबाही फैलाई भारत में
ललनाओं को नोंचा-खसोटा
फायदा उठाया
सनातनियों में फैली
अहिंसा की प्रवृति और
आपसी फूट का
एकता नहीं थी
लङते थे राजा आपस में
जिसके साथ बेटी ब्याहते
उसी राज्य पर हमला करते
इनकी महत्त्वाकाँक्षा ले डूबी
भारतीय सनातन संस्कृति

सनातन संस्कृति के अवशेषों पर
खङी की जाने लगी
आयातित अरबी संस्कृति
स्वार्थी मिले अरबोँ से
खुद भी धर्म-भ्रष्ट हुए
प्रजा को भी धर्म-भ्रष्ट किया
मन्दिर टूटे गुरुकुल टूटे
धर्म पर तलवारें चलीं
मन्दिरों पर मस्जिदें बनी
गुरूकुलों पर मदरसे बने
महलों में मकबरे बने
फिर ह्रास हुआ बहुत
भारतीय सनातन संस्कृति का

कुछ सदियाँ बीत गई
पश्चिम में व्यापार जगा
व्यापारी आए व्यापार करने
कच्चा माल श्रम देखकर
जीब लपलपाई व्यापारियों की
माल कमाया
मजदूर रखे
काम करवाने सिपाही रखे
छोटे कस्बे पर कब्जा किया
फिर बङे क्षेत्र पर अधिकार किया
कमजोरियों को समझा
आपसी फूट का लाभ उठाया
दो राजाओँ को लङवाया
तीसरा फायदा खुद उठाया
इसी तरह कब्जा जमाया
पूरे भारतवर्ष पर
अपनी शिक्षा लागू की
पश्चिमी संस्कृति थोपी
अरबी संस्कृति अपने साथ
कपङों संग बुरका लायी
अँग्रेज संस्कृति अपने साथ
कपङा उतार मात्र औरत लायी
व्यावसायिक शिक्षा और अँग्रेजी शिक्षा नें
नैतिक पतन सुनिश्चित किया
नौकरी लाए
पर बेरोजगारी भी लाए
पैसा और इज्जत लाए
पर गरीबी भी लाए
तकनीक लाए
पर रोजगार नहीं लाए
ह्रास किया
सनातन संस्कृति का

पाश्चात्य संस्कृति थोपी
प्रबुद्ध नागरिक भी
झुनझुना थाम बैठे
मिथ्या को सत्य समझ बैठे
सुन्दर घर को तोङकर
हवेली की सोचने लगा
समृद्ध संस्कृत को छोङकर
असमृद्ध अँग्रेजी पढने लगा
माँ बाप को छोङकर
बॉस की सुनने लगा
सनातन संस्कृति छोङकर
पाश्चात्य संस्कृति अपनाने लगा
घर की पूरी रोटी छोङकर
पङोस की आधी चुपङी खाने लगा
आखिर कब तक
ह्रास होता रहेगा
मिटती रहेगी अपनों के हाथों
रौंदी जाएगी पैरों तले
अपने ही लोगों द्वारा
अनदेखा करते रहेंगे
अपने ही लोग
भारतीय सनातन संस्कृति का
आखिर कब तक?
आखिर कब तक?
- सतवीर वर्मा 'बिरकाळी'

Views: 488

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on May 16, 2013 at 6:29pm
आदरणीय श्रीराम जी, आदरणीय शालिनी कौशिक जी, आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी, आदरणीय प्रदीप कुमार कुशवाहा जी, आदरणीय राम शिरोमणी पाठक जी, आदरणीय केवल प्रसाद जी, आदरणीय Ashok Kumar Raktale जी,
आप सबने रचना को पसंद किया इसके लिए आभार। रचना पर अपनी प्रतिक्रिया देकर आपने रचना को सार्थक कर दिया है। आभार आप सभी रचनाकारों का।
Comment by Ashok Kumar Raktale on May 15, 2013 at 8:46pm

संस्कृति के बार बार दमित होने की पीड़ा को शब्द देती सुन्दर रचना के लिए सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय सतवीर वर्मा जी.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 13, 2013 at 9:51pm

आ0 विरकाळी जी,..‘माँ बाप को छोङकर
बॉस की सुनने लगा
सनातन संस्कृति छोङकर
पाश्चात्य संस्कृति अपनाने लगा
घर की पूरी रोटी छोङकर
पङोस की आधी चुपङी खाने लगा‘ अतिसुन्दर प्रस्तुति। बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by ram shiromani pathak on May 13, 2013 at 9:13pm

सुन्दर रचना।बधाई 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 13, 2013 at 4:20pm

आखिर कब तक
ह्रास होता रहेगा
मिटती रहेगी अपनों के हाथों
रौंदी जाएगी पैरों तले
अपने ही लोगों द्वारा
अनदेखा करते रहेंगे
अपने ही लोग
भारतीय सनातन संस्कृति का
आखिर कब तक?
आखिर कब तक?

यक्ष प्रश्न. 

बधाई 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 13, 2013 at 7:35am

आखिर कब तक
ह्रास होता रहेगा
मिटती रहेगी अपनों के हाथों
रौंदी जाएगी पैरों तले
अपने ही लोगों द्वारा
अनदेखा करते रहेंगे
अपने ही लोग
भारतीय सनातन संस्कृति का
आखिर कब तक?
आखिर कब तक?

जब तक हम सभी सोये रहेंगे 

विदेशी संस्कृति में खोये रहेंगे!

Comment by shalini kaushik on May 13, 2013 at 12:22am

सार्थक रचना। सादर,

Comment by श्रीराम on May 12, 2013 at 7:46pm

सुन्दर अभिवक्ति ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service