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किस्मत लिखना चाहता हूँ मै अपनी!

किस्मत लिखना चाहता हूँ मै अपनी
पूंछ ए खुदा,क्या चाहता हूँ मै लिखना
तेरे हाँथ थक गए होंगे मेरी कहानी लिखते लिखते

तो थमा दे मुझे मेरे जीवन की पुस्तक क्यूंकि
किस्मत लिखना चाहता हूँ मै अपनी

कुछ शब्द है मेरे जेहन में,
कुछ चित्र है मेरे मन में,
कुछ रस्ते है इस वन में,
कई इरादे है अब मन में,
उन सबको मिलाकर लिखूंगा एक कहानी
जो होगी मेरी ही जुबानी,
जीयुंगा अब उसे ही मै,

अब बस यही एक तमन्ना रह गयी है,
कुछ बाते हैं मेरे टूटे से दिल में,
जो मलबे में कहीं दबी रह गयी हैं,
उन्ही बातो को मैं लिखना चाहता हूँ
ए खुदा तुझे तो सब पता ही है,
अब और क्या बताऊँ
कि मै क्या चाहता हूँ,
बस इतनी सी बात हैं,
इज़ाज़त दे मुझे क्यूंकि,
किस्मत लिखना चाहता हूँ मै अपनी
-बिरेश कुमार

Views: 506

Comment

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Comment by Amrita Choudhary on May 29, 2010 at 8:29pm
nice poem....

keep going....
Comment by विवेक मिश्र on May 10, 2010 at 11:01am
good one..

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 10, 2010 at 8:05am
// तेरे हाँथ थक गए होंगे मेरी कहानी लिखते लिखते
तो थमा दे मुझे मेरे जीवन की पुस्तक क्यूंकि
किस्मत लिखना चाहता हूँ मै अपनी //

बहुत बुलंद ख्याल हैं बिरेश जी, अपनी लेखनी से इस जवाँ-मर्दी को कभी अलग ना होने देना - बहुत आगे जायोगे !
Comment by Biresh kumar on May 9, 2010 at 10:12pm
thanks friends!
mai apni kosis jaari rakhunga!!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 9, 2010 at 9:21pm
अब बस यही एक तमन्ना रह गयी है,
कुछ बाते हैं मेरे टूटे से दिल में,
जो मलबे में कहीं दबी रह गयी हैं,
उन्ही बातो को मैं लिखना चाहता हूँ,
Jaroor likhiyey Biresh jee, ab likhaney key liyey Open Books Online bhi aa gaya hai aapkey paas, bahut badhiya likhey hai, aap to apaney pahaley blog mey hi garda udaa diyey, bahut badhiya, achha likh rahey hai, lagey rahiyey, Dhanyabad,
Comment by Admin on May 9, 2010 at 9:06pm
विरेश जी प्रणाम और स्वागत है आपकी पहले पोस्ट का ऒपन बुक्स आनलाइन पर, आज मै बेझिझक कहना चाहता हू कि मेरा मन क्या कहना चाह रहा है, मेरा मन कहता है कि मै अपनी पीठ स्वयं थपथपाऊ, और पश्वताप होता है कि मै इस साइट को पहले क्यू नही लाया, जब इतनी सुन्दर सुन्दर कविता,गज़ल पोस्ट होते देखता हू तो बिल्कुल मेरा मन यही कहता है, बहुत ही अच्छी रचना है बिरेश जी, काफी कुछ आपने अपने कविता मे कह दिया है, बहुत बहुत धन्यबाद है आपको इस पोस्ट के लिए, आगे भी आपकी रचनाऒ का इन्तजार रहेगा ।
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 9, 2010 at 8:24pm
biresh jee sabse pehle main aapke pehle blog ka swagat karta hoon OPEN BOOKS ONLINE me.
bahut acchi rachna hai biresh jee......
कुछ शब्द है मेरे जेहन में,
कुछ चित्र है मेरे मन में,
कुछ रस्ते है इस वन में,
कई इरादे है अब मन में,
उन सबको मिलाकर लिखूंगा एक कहानी
bahut badhiya likhte hain aap....aasha hai aage bhi aapki rachna padhne ko milti rahegi........
keep it up,,,,,,,,,...........

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