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......... न करो !

मेरी तक़दीर में लिखे नहीं हैं गीत कोई ,
फ़िज़ूल में ये संगीत बजाया न करो,
मुझे यूँ ही तनहाइयों में जीने दो,
मेरे चारो तरफ शोर मचाया न करो,
मैं खुश हूँ अपनी इस गुमनाम जिंदगी से ,
प्लीज़ मेरा और फ़साना बनाया न करो,
मेरे प्यार को बस प्यार ही रहने दो,
नाम कोई और देकर,यूँ तमाशा बनाया न करो,

मैं मुसाफिर हूँ और राह नहीं हैं मालूम,
कभी ये सोच कर ,मुझे रास्ता दिखाया न करो,
भटका हुआ सा मैं लगता हूँ जरुर,
खुद ढूंढ़ रहा हूँ राह अपनी,मुझे और भटकाया न करो,

मैं जो पी रहा हूँ स्वाद ले लेकर ,
मैं जानता हूँ ये ज़हर है,तुम बार बार बताया न करो,
याद आरही है मुझे मेरे कातिल की,
आखिरी वक़्त हैं, खलल पैदा न करो!
-बिरेश कुमार 'वीर' !!

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Comment by Amrita Choudhary on May 29, 2010 at 7:56pm
aap gumnam nahi ho.... :)
nice thoughts....
keep it up...

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 11, 2010 at 9:52am
मैं खुश हूँ अपनी इस गुमनाम जिंदगी से ,
प्लीज़ मेरा और फ़साना बनाया न करो,
मेरे प्यार को बस प्यार ही रहने दो,
नाम कोई और देकर,यूँ तमाशा बनाया न करो,
Biresj jee achhi rachna hai, Par ab aap ki jindgi GUMNAM nahi rah sakti quki aap ki rachna OBO par chhap gai hai, bahut badhiya likh rahey hai, ees jajbey ko banayey rakhaney ki jaroorat hai, thanks
Comment by Rash Bihari Ravi on May 10, 2010 at 3:19pm
bahut khub lage raho bhai,
Comment by Admin on May 10, 2010 at 2:30pm
मैं मुसाफिर हूँ और राह नहीं हैं मालूम,
कभी ये सोच कर ,मुझे रास्ता दिखाया न करो,
भटका हुआ सा मैं लगता हूँ जरुर,
खुद ढूंढ़ रहा हूँ राह अपनी,मुझे और भटकाया न करो,

वाह वाह बहुत ही सुंदर प्रस्तुति , बिरेश जी, आप तो कमल का लिखते है भाई, बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति, धन्यवाद,
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 10, 2010 at 12:50pm
bahut badhiya rachna hai biresh jee.........bahut acchha likh rahe hain...aise hi likhte rahe...
aapki agli rachna ka intezaar rahega..........keep it up biresh jee.....

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