For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(मौलिक और अप्रकाशित)

अरुणोदय से हुआ
नील गगन लोहित सा
गिरीश्रृगों के मध्य से
ललाट उठा रहा
संदेश दे रहा
जनमानस को
उठो जागो
आलस त्यागो
करो कुछ नवीन
गत दिवस के अनुभव
अपने मानस में पिरोकर
भूलों को सुधारो
अर्द्धकार्य पूर्ण करो
बनो संकल्पवान
अर्द्धविक्षिप्त से
अपूर्ण मत बनो
पूर्ण बनकर
पूर्ण कार्य करो
भरते जैसे नयी उमंग
पक्षी हृदय में
अरुणोदय वेला
भरो निजमानस में
हे मानव!
तुम भी नवीन उमंग
नवीन संचार
भरकर नव उङान
करो कुछ नवनिर्माण।

- सतवीर वर्मा 'बिरकाळी'

Views: 499

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 16, 2013 at 6:56am
आ॰ सौरभ पाण्डे जी, प्रोत्साहन करने के लिए आभार।
हमारी लेखनी इसी तरह चलती रहेगी, जब तक कोई दुर्गम पर्वत या खाई बीच मेँ ना आ जाएगी।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 16, 2013 at 12:31am

आपका मंच पर स्वागत है सतवीर जी..  विश्वास है आपकी लेखिनी उत्तरोत्तर प्रस्तुतियों से मुग्ध करती रहेगी.

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 13, 2013 at 5:20pm
टिप्पणी स्थानक पर अपने हस्ताक्षर करने के लिए आभार आ॰ योगी सारस्वत जी।
Comment by Yogi Saraswat on March 13, 2013 at 2:16pm

बनो संकल्पवान
अर्द्धविक्षिप्त से
अपूर्ण मत बनो
पूर्ण बनकर
पूर्ण कार्य करो
भरते जैसे नयी उमंग
पक्षी हृदय में
अरुणोदय वेला
भरो निजमानस में
हे मानव!
तुम भी नवीन उमंग
नवीन संचार
भरकर नव उङान
करो कुछ नवनिर्माण।

जीवन में संचार भर नव निर्माण करने के अच्छा सन्देश देती रचना के लिए बधाई श्री सतवीर वर्मा बिरकाली जी

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 12, 2013 at 10:46pm
लक्ष्मण प्रसाद लङीवाला जी, आपकी प्रतिक्रिया से दिल बाग बाग हो गया, आभार।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 12, 2013 at 10:17pm

जीवन में संचार भर नव निर्माण करने के अच्छा सन्देश देती रचना के लिए बधाई श्री सतवीर वर्मा बिरकाली जी 

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 12, 2013 at 9:30pm
kewal prasad ji, आपकी टिप्पणी से मन उत्साह से भरा है और कलम कुछ और रचना में प्रवृत हो गयी है।
Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 12, 2013 at 9:24pm
राम शिरोमणी पाठक जी, आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 12, 2013 at 6:16pm

हे मानव!
तुम भी नवीन उमंग
नवीन संचार
भरकर नव उङान
करो कुछ नवनिर्माण।  हम सभी के लिए उपयोगी है ....बहोत ही बढ़िया है!

Comment by ram shiromani pathak on March 12, 2013 at 5:52pm

बहोत ही बढ़िया कहा आपने आदरणीय वर्मा  जी  .....सादर

ललाट उठा रहा
संदेश दे रहा
जनमानस को
उठो जागो
आलस त्यागो
करो कुछ नवीन
गत दिवस के अनुभव
अपने मानस में पिरोकर
भूलों को सुधारो
अर्द्धकार्य पूर्ण करो
बनो संकल्पवान
अर्द्धविक्षिप्त से
अपूर्ण मत बनो
पूर्ण बनकर
पूर्ण कार्य करो

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service