For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वागत गणतंत्र

प्रो. सरन घई, संस्थापक, विश्व हिंदी संस्थान

 

स्वागतम सुमधुर नवल प्रभात,

स्वागतम नव गणतंत्र की भोर,

स्वागतम प्रथम भास्कर रश्मि,

स्वागतम पुन:, स्वागतम और।

 

जगा है अब मन में विश्वास,

कि सपने पूरे होंगे सकल,

कुहुक कुहुकेगी कोयल कूक,

खिलेगा उपवन का हर पोर।

 

युवा होती जायेगी विजय,

सुगढ़ होता जायेगा तंत्र,

फैलती जायेगी मुस्कान,

विहंसता जायेगा जनतंत्र।

 

कल्पनाएँ सब होंगी सुफल,

धारणाओं पर होगा व्यवहार,

होगी सद्व्यवहारों की जीत,

और असत्व्यवहारों की हार।

 

राष्ट्र का और बढ़ेगा मान,

करेगा अर्जित नव सम्मान,

गुंजेगा चहुँदिश राष्ट्र का मान,

जय हो, जय-जय हो हिंदुस्तान।

 

आज के दिन सब जुट कर संग,

करें भारत माँ से अनुयास,

संचरित हो जन-जन में शक्ति,

परस्पर और बढ़े विश्वास।

 

रह सकें मिलजुल कर हम संग,

बिखेरें चहुँदिश सुमधुर रंग,

रख सकें परचम की हम शान,

हो सकें इस पर हम कुर्बान।

 

भूल कर भेद-भाव हर एक,

करें गणतंत्र का हम अभिषेक,

गुंजाएँ राष्ट्रगान की तान,

तिरंगा ऊँची भरे उड़ान।

 

यही है भक्ति, यही है ध्येय,

मांगते सब मिलकर यह दान,

देव दो आज यही वरदान,

राष्ट्र का अभ्युर्थित हो मान।

Views: 567

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Prabhakar Pandey on January 29, 2013 at 5:26pm

सम्माननीय घईजी,

बहुत ही सुंदर रचना के लिए साधुवाद।।

युवा होती जायेगी विजय,

सुगढ़ होता जायेगा तंत्र,

फैलती जायेगी मुस्कान,

विहंसता जायेगा जनतंत्र।...सुक्ति।। सादर।।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 26, 2013 at 7:46pm

देव दो आज यही वरदान,

राष्ट्र का अभ्युर्थित हो मान। - बहुत सुन्दर अभ्व्यक्ति रचना हार्दिक बधाई श्री शरण घी भाई जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 26, 2013 at 2:57pm

//

यही है भक्ति, यही है ध्येय,

मांगते सब मिलकर यह दान,

देव दो आज यही वरदान,

राष्ट्र का अभ्युर्थित हो मान।//

इस प्रार्थना में हम सब भी स्वर मिलाते हैं , ऐसा ही हो , ऐसा ही हो , आदरणीय सरन साहब, बहुत ही सुन्दर रचना आपने रची है, इस अभिव्यक्ति और प्रस्तुति पर अनेकानेक बधाइयाँ , गणतंत्र दिवस की मंगलकामनायें ।

Comment by Naveen Singh on January 26, 2013 at 12:19pm

==–..__..-=-._.
!!==–..__..-=-._;
!!==–..@..-=-._;
!!==–..__..-=-._;
!!
!!
!!
VANDEMATARAM
HAPPY REPUBLIC DAY

Comment by mrs manjari pandey on January 25, 2013 at 10:44pm

बहुत सुंदर चाह और दुआ .

बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनायें आपको भी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 25, 2013 at 8:01pm

यह मनोकामना भगवान् पूर्ण करे ,सुन्दर भाव देश भक्ति से परिपूर्ण रचना हेतु हार्दिक बधाई आपको 

Comment by Shyam Narain Verma on January 25, 2013 at 4:33pm

bahot khoob..........................

Comment by Yogi Saraswat on January 25, 2013 at 2:39pm

कल्पनाएँ सब होंगी सुफल,

धारणाओं पर होगा व्यवहार,

होगी सद्व्यवहारों की जीत,

और असत्व्यवहारों की हार।

 swaagat hai ! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, नए अंदाज़ की ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके संकल्प और आपकी सहमति का स्वागत है, आदरणीय रवि भाईजी.  ओबीओ अपने पुराने वरिष्ठ सदस्यों की…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपका साहित्यिक नजरिया, आदरणीय नीलेश जी, अत्यंत उदार है. आपके संकल्प का मैं अनुमोदन करता हूँ. मैं…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"जी, आदरणीय अशोक भाईजी अशोभनीय नहीं, ऐसे संवादों के लिए घिनौना शब्द सही होगा. "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सुशील सरना जी, इन दोहों के लिए हार्दिक बधाई.  आपने इश्क के दरिया में जोरदार छलांग लगायी…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"माननीय मंच एवं आदरणीय टीम प्रबंधन आदाब।  विगत तरही मुशायरा के दूसरे दिन निजी कारणों से यद्यपि…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"आप पहले दोहे के विषम चरण को दुरुस्त कर लें, आदरणीय सुशील सरना जी.   "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आप वस्तुतः एक बहुत ही साहसी कथाकार हैं, आ० उस्मानी जी. "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया विभा रानी जी, प्रस्तुति में पंक्चुएशन को और साधा जाना चाहिए था. इस कारण संप्रेषणीयता तनिक…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"सादर नमस्कार आदरणीय सर जी। हमारा सौभाग्य है कि आप गोष्ठी में उपस्थित हो कर हमें समय दे सके। रचना…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रस्तुति नम कर गयी. रक्तपिपासु या हैवान या राक्षस कोई अन्य प्रजाति के नहीं…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"घटनाक्रम तनिक खिंचा हुआ प्रतीत तो हो रहा है, लेकिन संवादों का प्रवाह रुचिकर है, आदरणीय शेख शहज़ाद…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service