For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नफरत का अन्धकार यूं फैला दिखाई दे
नाम-ओ-निशान अमन का मिटता दिखाई दे !

काशी दिखाई दे कभी का'बा दिखाई दे,
नन्हा सा बच्चा जब कोई हँसता दिखायी दे !

जिनको भी ऐतमाद है अपनी उड़ान पर
उनको आसमान भी छोटा दिखाई दे !

वो शख्स जिसकी नींद ही खुलती हो शाम को,
उसको ये आफताब क्यूँ चढ़ता दिखाई दे !

खिड़की ही जब नहीं है कोई घर के सामने,
फिर कैसे भला चाँद का टुकड़ा दिखाई दे !

श्रद्धा नहीं तो हर नदी पानी के सिवा क्या ?
श्रद्धा हो ग़र तो हर नदी गंगा दिखाई दे

Views: 675

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 17, 2017 at 10:26pm
श्रद्धा नहीं तो हर नदी पानी के सिवा क्या ?
श्रद्धा हो ग़र तो हर नदी गंगा दिखाई दे...वाह वाह आदरणीय क्या खूबसूरत बात कही है..नमन है लेखनी को..सादर
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 17, 2017 at 10:11pm

बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय सर , हर शेर लाजवाब है | हार्दिक बधाई आदरणीय |

Comment by Hilal Badayuni on September 23, 2010 at 2:01am
doosra matla (husn-e-matla) aur aahiri sher mujhe bahut pasand aaya aapka bade kam alfaaz me bahut achchi baat kahi hai aapne mubarak ho

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on August 12, 2010 at 9:45pm
आदरणीय आज़र साहिब, मैं दिल से मशकूर हूँ आपकी ज़र्रानवाजी और दरियादिली के लिए ! सादर !
Comment by धर्मेन्द्र शर्मा on May 10, 2010 at 1:25pm
waah bahut khoob... Alfaaz nahi hain is ghazal ki khoobsoorti baya'n karne ko Prabhu ji..

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 5, 2010 at 10:35pm
Thanks a lot Kanchan ji for your appreciation.
Comment by Kanchan Pandey on May 5, 2010 at 9:47pm
Bahut hi sunder gazal hai, jitani tarif kiya jay kam hai, bahut hi badhiya,
Comment by Rash Bihari Ravi on May 5, 2010 at 2:42pm
श्रद्धा नहीं तो हर नदी पानी के सिवा क्या ?
श्रद्धा हो ग़र तो हर नदी गंगा दिखाई दे
man ko chu gaya

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 5, 2010 at 2:34pm
सतीश भाई, हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !
Comment by satish mapatpuri on May 5, 2010 at 1:51pm
प्रभाकर जी , आपकी यह ग़ज़ल एक हकीकत है . धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service