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मंज़िल अभी दूर है

तैयार किए गए

कुछ रोबोट

डाले गए

नफरत के प्रोग्राम

चार्ज किए गए

हैवानियत की बैटरी से

फिर भेज दिये  गए  

इंसानों की बस्ती में

फैलने आतंक

 

ये और बात है

इंसानियत ज़िंदा रही

हार गए हैवान

नहीं डरा सके हमें

न हीं कमज़ोर कर सके

हमारा आत्मविश्वास

 

और फिर

नष्ट कर दिया गया

आखिरी रोबोट भी

हम खुश ज़रूर हैं

पर जब तक जिंदा हैं

रोबोट बनाने वाले हाथ

इंसानियत के दुश्मन आज़ाद हैं

और हमारी मंज़िल

अभी दूर है 

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 24, 2012 at 9:34pm

//

पर जब तक जिंदा हैं

रोबोट बनाने वाले हाथ

इंसानियत के दुश्मन आज़ाद हैं

और हमारी मंज़िल

अभी दूर है //

वाह, क्या बात है, बहुत ही सुन्दर कहन नादिर साहब, बहुत बड़ी बात कही है, यह रचना मुझे बहुत अच्छी लगी, बधाई इस सामयिक रचना पर |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 23, 2012 at 9:55pm

पर जब तक जिंदा हैं

रोबोट बनाने वाले हाथ

इंसानियत के दुश्मन आज़ाद हैं

और हमारी मंज़िल

अभी दूर है ..................बेहद सटीक अभिव्यक्ति नादिर खान जी , हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

Comment by नादिर ख़ान on November 22, 2012 at 10:07pm

अदरणीय अखिलेश सर,लक्ष्मण प्रसाद जी एवं राजेश कुमारी जी आप सब का बहुत आभार 

आप सभी ने कोशिश को सराहा ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 22, 2012 at 6:09pm

इशारों इशारों में बहुत कुछ कह गई ये रचना सन्देश परक !!बधाई आपको 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 22, 2012 at 4:45pm

भावपूर्ण  सुंदर रचना बधाई

Comment by akhilesh mishra on November 22, 2012 at 4:29pm

badhiya  prastuti.

Comment by नादिर ख़ान on November 22, 2012 at 3:28pm

फूल सिंह जी एवं  शालिनी जी, बहुत शुक्रिया

आप दोनों ने रचना  के भाव को पसंद किया ।

आभार ..

Comment by shalini kaushik on November 22, 2012 at 3:09pm

ummeeed kee kiran baki hai tab kuchh bhi door nahi .bahut sundar bhavpoorn abhivyakti .badhai sweekar karen.

Comment by PHOOL SINGH on November 22, 2012 at 2:43pm

नादिर जी नमस्कार........

बहुत ही सुंदर, भावपूर्ण  रचना....बधाई....

फूल सिंह

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