In practice, a banana republic is a country operated as a commercial enterprise for private profit, effected by the collusion (मिलीभगत) between the State and favoured monopolies, whereby the profits derived from private exploitation of public lands is private property, and the debts incurred are public responsibility.
http://en.wikipedia.org/wiki/Banana_republic
(Google Images)
राष्ट्रीय दामाद से पंगा? (व्यंग गीत)
अरे मूर्ख, राष्ट्रीय दामाद से क्यूँ लिया तुने पंगा..!
लगता है, `बनाना रिपब्लिक` अनादि से है भिखमंगा..!
(अनादि= अनंत )
१.मंत्रीजी उवाच, `पुरानी पत्नी वो मज़ा नहीं देती ?`
सच होगा शायद, साबित हो गया शौहर घोर लफंगा ?
अरे मूर्ख, राष्ट्रीय दामाद से क्यूँ लिया तुने पंगा..!
२.मंत्रीजी उवाच,`उनके लिए हमारी जान भी हाज़िर है ?`
सच कहा, सारा देश मरता है तो मरे, भूखा-नंगा..!
अरे मूर्ख, राष्ट्रीय दामाद से क्यूँ लिया तुने पंगा..!
३.यहाँ कौन करेगा जांच, राष्ट्रीय रद्दी दामादों की ?
सुना है, उनके मन-मंदिर से ज़्यादा शौचालय है चंगा ?
अरे मूर्ख, राष्ट्रीय दामाद से क्यूँ लिया तुने पंगा..!
(रद्दी= अनुपयोगी)
४.देश की बरबादी का दूसरा नाम रख दो `इतालिया` ?
फिर, बिना शरम कहो, मेरे अलावा पूरा देश है नंगा..!
अरे मूर्ख, राष्ट्रीय दामाद से क्यूँ लिया तुने पंगा..!
(इतालिया= चारागाह= वह भूमि जो पशुओं के चरने के लिए खाली छोड़ दी गई हो )
नोट- अ..रे.., बुरा मत मानना, आप मज़ाक भी नहीं समझते क्या?
मार्कण्ड दवे । दिनांकः ०९-०९-२०१२.
Comment
राष्ट्रीय दामाद या खान्ग्रेसी दामाद :-)
जो हो पर बहुत ही सुन्दर व्यंग को सृजित किया है आदरणीय, गहरी छाप छोड़ रही है यह रचना | बधाई दवे साहब |
हास्य में भी बहुत गम्भीर बातें कहीं गईं हैं जो हर देशभक्त की आत्मा को झिझ्कोरती हैं, इस सार्थक काव्य-अभिव्यक्ति हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय मार्कंड दवे जी.
समसामयिक राष्ट्रीय दुर्घटनाओं पर आधारित ये व्यंग गीत विचलित करता है मजाक में भी
बहुत सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई आपको
वर्तमान परिप्रेक्ष में सर्वोत्तम व्यंग रचना, बहुत बधाई श्री मार्कंड दावे जी
आपके मज़ाक में इस क़द्र सच्चाई है कि कोई सच्चा हिन्दुस्तानी इस पर खुल कर हँस भी नहीं सकता .....बहुत बढ़िया तंज वर्तमान किस्सों पर ...दिली मुबारक बाद मार्कण्ड दवे जी
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