For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे शहर की बारिश

मेरे शहर की बारिश
लेकर आती है
ठंडी हवा के झोंकों में लिपटी 
माटी की सोंधी खुशबू 
बेसाख्ता बरसती बूँदें
समेटे प्यार दुलार भरी ठंडक
और तन बदन भिगोती
मन तक भिगो जाती है
लेकिन किसी को ये सब झूठ लगता है
क्यूंकि ये लेकर आती है
घरों की टपकती
छत की टप-टप
तेज़ हवा के झोंको से सरसराहट
दरवाजों पे आहट
बिरह की आग
सखी की याद
धुत्कार भरी तपिश
भिगोती है तन बदन संग मन
बचपन का अल्हड़पन समेटे
मेरे शहर की बारिश

संदीप पटेल "दीप"

Views: 482

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on June 21, 2012 at 3:44pm

sachchai se rubaroo......Deep ji.

Comment by Yogi Saraswat on June 21, 2012 at 3:08pm

दरवाजों पे आहट
बिरह की आग
सखी की याद
धुत्कार भरी तपिश
भिगोती है तन बदन संग मन
बचपन का अल्हड़पन समेटे
मेरे शहर की बारिश

sundar shabd , sandeep ji

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 21, 2012 at 11:17am

aap sabhi kaa hriday se shukriya ...............aadarneey डॉ. सूर्या बाली "सूरज sir ji , @PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA sir ji ..@SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR sir ji @Albela Khatri sir ji ......aadarneeya rajesh kumari ji ..@Rekha Joshi ji .....aap sabhi kaa saadar aabhar ......samyaabhaav se grasit hun abhi main ..........aap sabhi vigy jan mujhe kshma karenge aisee aasha hai

Comment by Albela Khatri on June 21, 2012 at 8:44am

गज़ब है  संदीप जी आपके शहर की  बारिश........
ख़ूब भिगोती  है आपको..........
भीगते रहिये
और ऐसे ही  सृजन करते रहिये,,,,,,,,,
__सादर !

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 20, 2012 at 8:55pm
प्रिय संदीप 'दीप' जी बारिस के बिभिन्न रूप रंगों को आप ने दिखाया ...अच्छा लगा ..एक ही सिक्के के अलग पहलू हैं हर मन में ये बारिस अपना अलग प्रभाव छोड़ ..कभी जलाती है कभी शीतल ....सुन्दर 
भ्रमर ५ 
Comment by Rekha Joshi on June 20, 2012 at 7:42pm

वाह संदीप जी ,क्या कविता लिखी है ,बहुत खूब ,बहुत बहुत बधाई 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 20, 2012 at 1:42pm

आपके शहर  का मौसम कुछ अजीज है 

आपका ये भाव हर दिल अजीज है 

है तपन यहाँ मगर मगन संदीप है 

खुश है प्रदीप बारिश का मौसम करीब है.

बधाई. 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 20, 2012 at 1:13pm

अच्छी कविता संदीप भाई !! बधाई हो !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 20, 2012 at 11:46am

बहुत सुन्दर भावों को संजोया है रचना में 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service