मेरे शहर की बारिश
लेकर आती है
ठंडी हवा के झोंकों में लिपटी
माटी की सोंधी खुशबू
बेसाख्ता बरसती बूँदें
समेटे प्यार दुलार भरी ठंडक
और तन बदन भिगोती
मन तक भिगो जाती है
लेकिन किसी को ये सब झूठ लगता है
क्यूंकि ये लेकर आती है
घरों की टपकती
छत की टप-टप
तेज़ हवा के झोंको से सरसराहट
दरवाजों पे आहट
बिरह की आग
सखी की याद
धुत्कार भरी तपिश
भिगोती है तन बदन संग मन
बचपन का अल्हड़पन समेटे
मेरे शहर की बारिश
संदीप पटेल "दीप"
Comment
sachchai se rubaroo......Deep ji.
दरवाजों पे आहट
बिरह की आग
सखी की याद
धुत्कार भरी तपिश
भिगोती है तन बदन संग मन
बचपन का अल्हड़पन समेटे
मेरे शहर की बारिश
sundar shabd , sandeep ji
aap sabhi kaa hriday se shukriya ...............aadarneey डॉ. सूर्या बाली "सूरज sir ji , @PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA sir ji ..@SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR sir ji @Albela Khatri sir ji ......aadarneeya rajesh kumari ji ..@Rekha Joshi ji .....aap sabhi kaa saadar aabhar ......samyaabhaav se grasit hun abhi main ..........aap sabhi vigy jan mujhe kshma karenge aisee aasha hai
गज़ब है संदीप जी आपके शहर की बारिश........
ख़ूब भिगोती है आपको..........
भीगते रहिये
और ऐसे ही सृजन करते रहिये,,,,,,,,,
__सादर !
वाह संदीप जी ,क्या कविता लिखी है ,बहुत खूब ,बहुत बहुत बधाई
आपके शहर का मौसम कुछ अजीज है
आपका ये भाव हर दिल अजीज है
है तपन यहाँ मगर मगन संदीप है
खुश है प्रदीप बारिश का मौसम करीब है.
बधाई.
अच्छी कविता संदीप भाई !! बधाई हो !
बहुत सुन्दर भावों को संजोया है रचना में
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online