For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लौट रहे घन

बाँध राखियाँ

धरती के आँगन को

हर इक प्यासे मन को

 

हरी-भरी चूनर में

धरती

मंद-मंद मुस्काये

हरा-भरा खेतों का

सावन

लहराये-इतराये

 

प्रेम प्रकट करने

झुक आयीं

शाखें नील गगन को

 

नदिया का शृंगार

लहर के

स्वर में बोल रहा है

मस्त पुलिन का

अंग-अंग भी

जैसे डोल रहा है

 

बेकल हैं सारी  

धाराएँ

पावन सिन्धु मिलन को

 

भीगे-भीगे वन की

दौलत

अम्बर चूम रही है

साथ पवन के

कजरी ठुमरी

गाती झूम रही है

 

देती झौंका

नर्म हवा भी

फूल भरे उपवन को

#

 

अशोक रक्ताले ‘फणीन्द्र’

Views: 64

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 27, 2024 at 5:29pm

   आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत गीत रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर 

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 27, 2024 at 5:28pm

  आदरनी सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तुत रचना की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर 

Comment by Samar kabeer on August 24, 2024 at 2:37pm

जनाब अशोक रक्ताले जी आदाब, बहुत सुंदर गीत हुआ है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on August 23, 2024 at 3:41pm

वाह  आदरणीय अशोक रक्ताले जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति हुई है सर जी । हार्दिक बधाई 

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 23, 2024 at 2:08pm

आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 23, 2024 at 2:45am

आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत मनमोहक गीत हुआ है। कोटि कोटि बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service