For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरे मेरे दोहे ..

तेरे मेरे दोहे :

दंतहीन मुख पोपला, हुए दृष्टि से सूर ।
शक्तिहीन काया हुई, चलने से मजबूर ।।

दंतहीन मुख पोपला, दृष्टि से लाचार ।
देख -देख मिष्ठान को, मुख से टपके लार ।।

लघु शंका बस में नहीं, मुख से टपके लार ।
बदला सा लगने लगा , अपनों का व्यवहार ।।

काया का सूरज ढला, ढली श्वास की शाम ।
दूर क्षितिज पर साँझ की, लाली करे प्रणाम ।।

काया साँसों से चले ,चले कर्म से नाम ।
चंचल मन के अश्व की, वश में रखो लगाम ।।

सुशील सरना / 3-3-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 696

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on February 19, 2022 at 2:26pm
आदरणीय समर कबीर जी, आदाब, सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी
Comment by Samar kabeer on February 15, 2022 at 2:59pm

जनाब सुशील सरना जी, उम्द: दोहे हुए हैं, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on February 12, 2022 at 1:12pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 9, 2022 at 6:52pm

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। एक से बढ़कर एक उत्तम दोहे हुए हैं। मन मोह लिया। हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on February 6, 2022 at 9:50pm
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय
Comment by Sushil Sarna on February 6, 2022 at 9:50pm
परम आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, सादर प्रणाम, सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार
Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 6, 2022 at 11:06am

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, वृद्धावस्था और वास्तविक जीवन पर सुंदर दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई स्वीकार करें।  सादर। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2022 at 8:56am

वार्धक्य का वर्णन श्लाघनीय है, आदरणीय सुशील सरना जी. 

कहन में क्या ही सान्द्रता है. क्या ही गहराई है.

बधाई स्वीकार करें

शुभ-शुभ

Comment by Sushil Sarna on February 4, 2022 at 7:49pm
आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर प्रणाम, सर सृजन पर आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया का दिल से आभार ।
Comment by Chetan Prakash on February 4, 2022 at 4:51pm

बहुत सुन्दर चित्रण हुआ आदरणीय, वृद्धावस्था का, बधाई!   दोहा न. 4व5 मेंनिरन्तर बढ़ती हुई आयु का अलंकारिक प्रतीकात्मक वर्णन प्रशंसनीय बन पड़ा है, आ. सुशील सरना साहब  ! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
7 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service