For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

थाली खाली लघु -कथा

    मेरे छोटे से बेटे तक  ने थाली सरका दी । कहा नहीं खाऊँगा  । इस खाने को उगाने वाले अन्नदाता यदि  भूखे  हैं ,बेघर  हैं उनकी आवाज़ गले मे घुट रही है  तो नैतिकता की मांग है कि मुझे ये खाना खाने का हक़  नहीं है । नहीं जानता हूँ कि कौन कितना गलत है या सही है  लेकिन इतना ज़रूर जानता हूँ कि ऐसे मौसम मे घर छोडने का ,सड़कों पर बैठने का  और  सर पर कफन बांधने का  शौक किसी को नहीं हो सकता । जब    भविष्य  अंधकारमय लगता  है तभी  वर्तमान  ऐसे कदम उठाता है  तब जीवन और मौत मे कोई अंतर नहीं रह जाता  है । एक आम घर मे  आम  गृहणी खाना बनाने से पहले  खाने वालों की पसंद पूछ लेती है।यदि खाने वाले  खाना ही न चाहे तो बनाने का क्या फायदा ? और अगर न पसंद  आए तो  माँ दूसरा बना देती  है । ऐसा तो नहीं न होता  कि खाने वाला पसंद न करे तो उसका सर माथा ही फोड़ दो  ? देश भी तो घर ही होता है न ! लोक सभा हो या लखनपुर ,सब अपने ही लोग तो हैं न ? तो आप जिनके लिए कानून बना रहे हैं उनको पूछ क्यों नहीं लेते बनाने से पहले या बनाने के बाद  ?

.................................................... 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 788

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 30, 2020 at 8:29am

आदाब।  समसामयिक ज्वलंत मुद्दों पर  विवरणात्मक शैली की बढ़िया लघुकथा पर हार्दिक बधाई आदरणीया अमिता तिवारी जी।  पूरा अनुच्छेद यदि उस छोटे से बेटे के शब्द हैं, तो इन्वर्टेड कौमाज़ का प्रयोग कर स्पष्ट करना चाहिए। विधा का नाम शीर्षक में सही टंकित कीजिएगा यह 'लघुकथा' है, न कि 'लघु- कथा' , न ही 'लघु कथा' ।  वरना लेेखकीय विचार लगते हैं।  समापन पंक्ति जोड़ी जा सकती है मेेरे विचार से। 

Comment by amita tiwari on December 18, 2020 at 11:00pm

 आ० रोहित  डोबरियाल जी 

सादर अभिवादन ।

सत्य और अर्धसत्य मे हमेशा ही  द्वंद  तो रहेगा  ही ...... सत्य जब व्यक्ति सापेक्ष   हो जाये तो  मुश्किल  हो जाता है ...

..सादर 

अमिता 

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on December 18, 2020 at 9:35pm

अच्छी बात है आपके बेटे ने किसी के बारे में सोचा ....पर ये आपकी जिम्मेदारी है कि विवाद और वास्तविकता से भी उसे रूबरू करवाएं हमेशा कहि,सुनी ओर देखी जाने वाली बात सत्य नही होती और हैं शौक सबको आ जाता है बहकने के बाद।

Comment by Chetan Prakash on December 12, 2020 at 1:39am

आदरणीया अमिता तिवारी जी, सादर नमन ! आपकी लघुकथा कथ्य के प्रस्तुतिकरण और गठन की दृष्टि से प्रशंसनीय प्रस्तुति है, आदरेया ! लघुकथा, जहाँ तक मैं समझ पाया, सहृदया, हमारे - आपके जीवन के सत्य से ( यथार्थ ) से एकाएक उद्घाटित होती है, और उस विशेष क्षण में लोक जीवन में प्रचलित कहावत, मुहावरे अथवा हमारी परम्परा की उपादेयता को लेकर हमारे शिव नेत्र को खोल देती है। औ हम यकबयक अपेक्षाकृत बेहतर विवेकशील इन्सान बन जाते हैं। अतः लघुकथा लोक में पहले से ही स्थापित सत्य का प्रतिदर्श अथवा जीवन्त दृष्टान्त बन कर उपस्थित होती हैं।

Comment by amita tiwari on December 12, 2020 at 12:10am

 आदरणीय  चेतन प्रकाश जी 

आपकी बेबाक टिप्पणी से अभिभूत हूँ ।अगर आप कुछ पाठ-प्रदर्शन करें तो आभार होगा ।

Comment by Chetan Prakash on December 10, 2020 at 10:15am

    

नमस्कार आदरणीया ममता तिवारी जी, क्षमा करे, लघु कथा तथ्यात्मक विधा है, गल्प साहित्य नहीं। कदाचित यहाँ अधिकतर साथियों को लघुकथा के स्वरूप का
सही ज्ञान ही नहीं है। और, दुःख की बात है कि संयोगवश यह अप्रिय बात आपकी लघु-कथा के संदर्भ मे कहने को विवश हूँ । पुनः क्षमा याचना के साथ,

Comment by Samar kabeer on December 4, 2020 at 5:15pm

मुहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब, अच्छी लघुकथा हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 3, 2020 at 11:42am

हार्दिक बधाई आदरणीय अमिता तिवारी जी। बेहतरीन संदेश देती बढ़िया लघुकथा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service