(2122 1122 1122 22 /112 )
.
आपने मुझ पे न हरचंद नज़रसानी की
फिर भी हसरत है मुझे इश्क़ में ज़िन्दानी की
**
दिल्लगी आपकी नज़रों में हँसी खेल मगर
मेरी नज़रों में है ये बात परेशानी की
**
मौत जब आएगी जन्नत के सफ़र की ख़ातिर
कुछ ज़रूरत न पड़ेगी सर-ओ-सामानी की
**
या ख़ुदा ऐसा कोई काम न हो मुझ से कभी
जो बने मेरे लिए वज्ह पशेमानी की
**
जिस तरह चाल वबा ने है चली दुनिया में
हर बशर के लिए है बात ये हैरानी की
**
दाद-ओ-तहसीन के बदले में किया है रुसवा
ख़ूब सौगात मिली प्यार में क़ुर्बानी की
**
तिफ़्ल और फूल शबाब और मरासिम की बशर
हर समय ख़ास ज़रूरत है निगहबानी की
**
ख़ूब हुशियार समझता था मैं ख़ुद को फिर भी
प्यार करने की 'हुज़ूर आप से नादानी की
**
अक़्ल पे उनकी तरस आता है मुझको ऐ 'तुरंत '
अस्पतालों में करें मांग जो बिरयानी की
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय TEJ VEER SINGH जी , बे'पनाह, मुहब्बतों, नवाज़िशों का दिल से बे'हद शुक्रिया ! शाद-औ-आबाद रहें |
हार्दिक बधाई आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' जी।बेहतरीन गज़ल।
ख़ूब हुशियार समझता था मैं ख़ुद को फिर भी
प्यार करने की 'हुज़ूर आप से नादानी की
आदरणीय Samar kabeer साहेब , आदाब |
बे'पनाह, मुहब्बतों, नवाज़िशों का दिल से बे'हद शुक्रिया ! शाद-औ-आबाद रहें |
जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।
'आपने मुझ पे न हरचंद नज़रसानी की'
इस मिसरे में 'नज़रसानी' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है "नज़र-ए-सानी' देखियेगा ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online