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शौक से लूटे जिसे भी लूटना है - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/ २१२२/ २१२२

आप कहते  आपदा  में योजना है

सत्य में हर भ्रष्ट को यह साधना है।१।

**

बाढ़ सूखा ऐपिडेमिक या हों दंगे

चील गिद्धों के लिए सद्कामना है।२।

**

घोषणाएँ हो  रही  हैं नित्य जो भी

वह गरीबों के लिए बस व्यंजना है।३।

**

बँट रहा है ढब  खजाना  सत्य है यह

किंतु किसको मिल रहा ये जाँचना है।४।

**

हो गई है हर जिले में अब व्यवस्था

शौक  से  लूटे  जिसे  भी लूटना  है।५।

**

मौलिक/अप्रकाशित

- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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Comment

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 26, 2020 at 10:18am

आ. भाई सुरेन्द्र जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by नाथ सोनांचली on April 26, 2020 at 1:25am

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन, खूबसूरत कथ्य लिए बेहतरीन अशआर से सजी इस ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें। सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 22, 2020 at 6:36am

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति, स्नेह एवं उत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 21, 2020 at 5:45pm

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी। बेहतरीन गज़ल।

हो गई है हर जिले में अब व्यवस्था

शौक  से  लूटे  जिसे  भी लूटना  है।५।

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