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सदी 16 वें साल में आ गयी है- नव वर्ष विशेष ग़ज़ल (पंकज के मानसरोवर से)

शब्दों की माला सुमन भाव निर्मित।
सभी प्रियजनों को मैं करता समर्पित।

नव वर्ष के आगमन की घड़ी में।
हृदय से शुभेच्छाएँ करता हूँ अर्पित।।

सदी 16वें साल में आ गयी है
ये यौवन हाँ जीवन में सबके अपेक्षित।।

खुशियाँ सदा द्वार पर आपके हों।
कलम से यही कामनाएँ हैं प्रेषित।।

कि धन-धान्य, सुख-शांति से घर भरा हो।
हर कामना आप सबकी हो पूरित।।

न मन न हीं तन न ही धरती गगन ये।
किसी हाल "पंकज" नहीं हो प्रदूषित।।


मौलिक-अप्रकाशित

(© सदी 16वें साल में आ गयी है)

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Comment

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Comment by Ravi Shukla on January 8, 2016 at 5:31pm

आदरणीय पंकज जी सुन्‍दर प्रवाह के साथ सुन्‍दर भाव पिरो लिये है आपने  बहुत बहुत बधाई स्‍वीकार करें आज जितनी भी ग़ज़ले पढ़ी है कमोबेश सब में बह्र नदारद मिली । सादर ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 8, 2016 at 12:41am
आदरणीय राम अवध सर सादर अभिवादन स्वीकार करें।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 8, 2016 at 12:40am
आरणीय राजेश दीदी सादर प्रणाम, अच्छा लगता है जब अब आप रचनाओं को आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on January 7, 2016 at 6:53pm
सुन्दर सार्थक हिन्दी भाषा का पुट लिये गजल विशेष के लिये बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 7, 2016 at 5:51pm

नव वर्ष के उपलक्ष में सुन्दर सार्थक ग़ज़ल लिखी है बहुत बहुत बधाई पंकज कुमार जी 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 3, 2016 at 9:00am
आदरणीय समर कबीर सर, सुझाव के अनुरूप संशोधन निम्नवत है।

122-122-122- 122

ये शब्दों की माला सुमन भाव निर्मित।
सभी प्रियजनों को मैं करता समर्पित।

जी नव वर्ष के आगमन की घड़ी में।
हृदय से शुभेच्छाएँ करता हूँ अर्पित।।

सदी 16वें साल में आ गयी है
ये यौवन हाँ जीवन में सबके अपेक्षित।।

कि खुशियाँ सदा द्वार पर आपके हों।
कलम से यही कामनाएँ हैं प्रेषित।।

कि धन-धान्य, सुख-शांति से घर भरा हो।
हाँ हर कामना आप सबकी हो पूरित।।

न मन ही न तन ही न धरती गगन ये।
किसी हाल "पंकज" नहीं हो प्रदूषित।।

★★★★★★★★★★★★
मौलिक एवम् अप्रकाशित
★★★★★★★★★★★★
©सदी 16वें साल में आ गयी है
Comment by Samar kabeer on January 2, 2016 at 2:31pm
जनाब पंकज कुमार जी आदाब,सबसे पहली बात ये कि ग़ज़ल के अरकान नहीं लिखे आपने,इस कारण से ग़ज़ल को समझने में दुश्वारी हो रही है,ख़याल के लिहाज़ से ग़ज़ल अच्छा सन्देश दे रही है,बधाई |

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