For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बूंद-बूंद ही भरता घड़ा (लघुकथा) ["सुख"-विषयांतर्गत -1]/ शेख़ शहज़ाद उस्मानी

वे दोनों अपने आप को उच्च शिक्षित, व्यवहारिक, और मानवता के पैरोकार साबित करने पर तुले हुए थे। बहस का कोई अंत नहीं था। एक-दूसरे से सहमत होना मुश्किल था। अंतिम प्रयास करते हुए उनमें से एक बोला- "मैंने सभी धार्मिक ग्रंथों के साथ ही मानव समाज से संबंधित सभी विषयों पर पर्याप्त अध्ययन और चिंतन-मनन किया है। निष्कर्षत: अब मैं मानवता के मार्ग पर चलना चाहता हूं।"

"तो क्या अब तक दानव बनकर जी रहे थे!" दूसरे ने लगभग चीखते हुए कहा।

"नहीं, ढोंगी मानवता की चादर ओढ़े हुए दानवता की ढाल लिए लोगों के साथ रहते हुए सामंजस्य स्थापित करते हुए उन जैसा ही जीवन जी रहा था! तुम बताओ मेरी वाली पुस्तकों और धार्मिक ग्रंथों को पढ़े बिना तुम कैसे जी रहे हो!"

"प्रकृति मेरी पुस्तक है, मेरी गुरु है, मेरा आदर्श है और वही मेरा ईश्वर और धर्म है, समझे!" फिर से उसने चिल्ला कर कहा।

"तो क्या तुम मानवता सीख गये? साधु-संत बन गये या लेखक, दार्शनिक वग़ैरह या सिर्फ़ फकीर, मुफ़लिस बन कर रह गए?" व्यंग्योक्ति के साथ पहले ने कहा।

"कुछ भी समझ लो, लेकिन हर कोई अंततः जिस चीज़ के लिए तड़पता है, वह मुझे हासिल हुआ है, भले आंशिक ही क्यों न हो! बूंद-बूंद से घड़ा भरता है शांति और सुकून का भी!" अब की बार दूसरा बड़ी शांति और संतुष्टि के साथ बोला।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 768

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 25, 2017 at 7:39pm
मेरी इस लघुकथा के अनुमोदन व मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी, आदरणीय समर कबीर जी, आदरणीय कल्पना भट्ट जी, आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहब व जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहब।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 16, 2017 at 5:44pm
मुहतरम जनाब शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब,सीख देती बहुत सुंदर लघुकथा हुई है,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें
Comment by Mohammed Arif on July 16, 2017 at 5:09pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, लघुकथा के सारे मापदंडों पर खरी लघुकथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Hari Prakash Dubey on July 16, 2017 at 3:59pm

बहुत बढ़िया , वाकई प्रकृति से बड़ी कोई पुस्तक नहीं है ,इस रचना पर बधाई आपको आदरणीय  Sheikh Shahzad Usmani साहब ! सादर 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 3:27pm

अच्छी कथा हुई है आदरणीय शहजाद जी | हार्दिक बधाई 

Comment by Samar kabeer on July 16, 2017 at 3:25pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश  ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका बहुत शुक्रिया "
29 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"अनुज ब्रिजेश , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका  हार्दिक  आभार "
32 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. अजय जी,ग़ज़ल के जानकार का काम ग़ज़ल की तमाम बारीकियां बताने (रदीफ़ -क़ाफ़िया-बह्र से इतर) यह भी है कि…"
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय एक  चुप्पी  सालती है रोज़ मुझको एक चुप्पी है जो अब तक खल रही…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सोच को नव चेतना मिली । प्रयास रहेगा…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय बृजेश कुमार जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मैं आपके कथन का पूर्ण समर्थन करता हूँ आदरणीय तिलक कपूर जी। आपकी टिप्पणी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"धन्यवाद आ. दयाराम मेठानी जी "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. बृजेश कुमार जी.५ वें शेर पर स्पष्टीकरण नीचे टिप्पणी में देने का प्रयास किया है. आशा है…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी से ग़ज़ल कहने का उत्साह बढ़ जाता है.तेरे प्यार में पर आ. समर…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service