For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

होली के दोह - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

होली के दोह

मन करता है साल में, फागुन हों दो चार
देख उदासी नित डरे, होली  का त्योहार।१।

चाहे जितना भी  करो, होली  में हुड़दंग
प्रेम प्यार सौहार्द्र को, मत करना बदरंग।२।

तज कृपणता खूब तुम, डालो रंग गुलाल
रंगहीन अब ना रहे, कहीं किसी का गाल।३।

फागुन  में  गाते  फिरें, सब  रंगीले फाग
उस पर होली में लगे, भीगे तन भी आग।४।

घोट-घोट के पी  रहे, शिव बूटी कह भाँग
होली में जायज नहीं, छेड़छाड़ का स्वाँग।५।

हँसी ठिठौली थाल में, छोड़ दुखों की बेल
हरसाये मन  और  का, एेसी  होली  खेल।६।

इतनी भी मत तेज रख, पिचकारी की धार
प्रेम प्यार को रोक ले, नफरत झट रफ्तार।७।

दहन होलिका संग ही, कर दो मन का बैर
रंग न  बदले  खून  में, मागो  सबकी  खैर।८।

छोड़ो गुस्सा बैर सब,खेलो हिल मिल संग ।
रंगों  से  होता  नहीं, ये  जीवन  बदरंग।९।

आयी यादें  गाँव की, भीगी  है फिर आँख
उड़ जाता मन सोचता, होते जो तन पाँख।१०।

हवा नशीली हो गयी, कण-कण में उन्माद 
फागुन में फिर बोलिए, हम क्यों हों अपवाद।११।

मौलिक अप्रकाशित

( ★ ओबीओ परिवार के सभी सदस्यों को होली की शुभकामनाएँ ।)

Views: 816

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 3, 2018 at 8:56am

आ. भाई सलीम जी, उत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 3, 2018 at 8:54am

जनाब भाई लक्ष्मण धामी साहिब, होली पर अच्छे दोहे हुए हैं ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।

Comment by Mohammed Arif on March 2, 2018 at 10:44pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब,

                               रंगों के पर्व होली के विधिध रंगों से सराबोर बेहतरीन और लाजवाब दोहे । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

                                      रंग पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 2, 2018 at 7:01pm

वाह्ह्ह्ह वाह्ह्ह मस्त दोहावली होली के उत्सव पर .बहुत बहुत बधाई आद० लक्ष्मण धामी भैया |

तज कृपणता खूब तुम, डालो रंग गुलाल------विषम चरण में १२ मात्राएँ हो रही हैं ..त्याग  कृपणता खूब तुम  ...ऐसा कर लीजिये 
रंगहीन अब ना रहे, कहीं किसी का गाल।३।

इतनी भी मत तेज रख, पिचकारी की धार 
प्रेम प्यार को रोक ले, नफरत झट रफ्तार।७।--नफरत की रफ्तार।

बाकी सभी दोहे उम्दा हैं 

Comment by SALIM RAZA REWA on March 2, 2018 at 4:06pm
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी,
बहुत खूबसूरत दोहे हुए हैं मुबारक़बाद क़ुबूल करे
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 2, 2018 at 1:45pm

आ. भाई हर्ष जी, स्नेहमयी उत्तसाहवर्धन से मन हर्षित हुआ । हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 2, 2018 at 1:43pm

आ. भाई प्रदीप जी, स्नेहयुक्त प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 2, 2018 at 1:34pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । होली की शुभकाभनाएँ तहेदिल से स्वीकार हुईं ।

दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया ने लेखन को सार्थकता प्रदान कर दी । मार्गदर्शन करते रहिए ।..

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 2, 2018 at 1:24pm

राम की लक्ष्मण पर इसी प्रकार स्नेह वर्षा होती रहे यही कामना है ।

Comment by Harash Mahajan on March 2, 2018 at 1:21pm

बहुत ही बेहतरीनआदरणीय धामी जी । त्यौहार के दिन उस त्यौहार पर कहे गए दोहे और भी समां बांध देता है । बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
46 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
20 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service