For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल...ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी शाम से-बृजेश कुमार 'ब्रज'

मुतदारिक सालिम मुसम्मन बहर
212 212 212 212
आपकी याद आने लगी शाम से
ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी शाम से

गुनगुनाती हुई चल रही है हवा
शाम भी गीत गाने लगी शाम से

चाँदनी रात से क्यों करें हम गिला
हर ख़ुशी झिलमिलाने लगी शाम से

बड़ रही प्यार की तिश्नगी हर घड़ी
हसरतें सिर उठाने लगी शाम से

ताल बेताल थे सुर बड़े बेसुरे
रागनी वो सुनाने लगी शाम से

आस दिल में लिये चल पड़ी बावरी
रात सपने सजाने लगी शाम से
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 988

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 9, 2017 at 11:04pm
आदरणीय अफरोज रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार..आप उचित कह रहे हैं..तिश्नगी ज्यादा सही रहेगा..ग़ज़ल ख़ुशी का भाव लिए हुए है लेकिन यही एक शेर जुदा है।सुधार करता हूँ..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 9, 2017 at 10:52pm
आदरणीय राज साहेब आपका बहुत बहुत धन्यवाद..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 9, 2017 at 10:50pm
सर्व प्रथम आपकी स्नेहिल टिप्पड़ी के लिए हार्दिक आभार आदरणीय आरिफ जी..कोशिश तो रहती है सभी रचनाओं पे आने की लेकिन समयाभाव के कारन कई बार टिप्पड़ी नहीं कर पाता हूँ इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।आगे कोशिश करूँगा की ऐसा न हो।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 9, 2017 at 10:44pm
आदरणीय सलीम जी ग़ज़ल पे आपकी हौसलाफजाई के लिए शुक्रिया..
Comment by Afroz 'sahr' on October 9, 2017 at 9:39pm
आदरणीय ब्रजेश जी इस अच्छी रचना परआपको बहुत बधाई। मिसरा "बड़ रही प्यार की तीरगी हर घड़ी़" में "तीरगी "की जगह "तिश्नगी" करलें तो बेहतर होगा।
Comment by राज़ नवादवी on October 9, 2017 at 7:44pm

आदरणीय बृजेश कुमार जी, ग़ज़ल की सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by Mohammed Arif on October 9, 2017 at 12:19pm
आदरणीय बृजेश कुमार जी आदाब, छोटी बह्र की अच्छी ग़ज़ल । हर शे'र उम्दा । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़बूल करें । बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह का इंतज़ार करें ।
नोट:- कितना अच्छा हो अगर आप जैसे ग़ज़लगो साहित्य की अन्य विधाओं पर अपनी सृजनशीलता का टर
परिचय देने वालों को भी अपनी टिप्पणियों से पोषित करें ताकि उनका भी इस उत्साहवर्धन हो सके ।
Comment by SALIM RAZA REWA on October 9, 2017 at 7:52am
बृजेश जी ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई,
रदीफ़ के लिए मुबारक़बाद,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी बहुत शुक्रिया आदरणीय चेतन प्रकाश जी "
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  अच्छी ग़ज़ल हुई, और बेहतर निखार सकते आप । लेकिन  आ.श्री…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.मिथिलेश वामनकर साहब,  अतिशय आभार आपका, प्रोत्साहन हेतु !"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"देर आयद दुरुस्त आयद,  आ.नीलेश नूर साहब,  मुशायर की रौनक  लौट आयी। बहुत अच्छी ग़ज़ल…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
10 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service