For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मापनी २२ २२ २२ २२

 

झील सी गहरी नीली आँखें

हैं कितनी सकुचीली आँखें

 

खो देता हूँ  सारी सुध बुध

उसकी देख नशीली आँखें

 

यादों  के सावन  में भीगीं

हो गईं कितनी गीली आँखें

 

मोम बना दें पत्थर को भी

छोटी  सीली  सीली आँखें

 

राह तुम्हारी  तकते तकते

हो गईं  हैं पथरीली  आँखें

 

बढती बेलें देख के’ अपनी

होतीं  हैं    गर्वीली  आँखें

प्रेम अगन सुलगाने को तो

हैं माचिस की तीली आँखें

 

गम  तो है  वैसे का वैसा

रोतीं  खाली-पीली  आँखें

 

सुन लेतीं सब कह देतीं सब

कहने  को  शर्मीली  आँखें

 

 "मौलिक एवं अप्रकाशित "

Views: 1440

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 9, 2017 at 10:50pm

आद० बसंत कुमार जी,बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है शेर दर शेर मुबारकबाद कुबूलें | ग़ज़ल पर चर्चा भी खूब हुई है जिसको पढ़कर मेरा मानना तो यही है की जो शब्द किसी शब्दकोश में ही नहीं है उसको अपनी ग़ज़ल में क्यों इस्तेमाल करें कई बार अनजाने में हो जाता है तो यहाँ मंच के विद्वद्जंन इंगित करते हैं मार्ग दर्शन करते हैं  तो वो एक लेखक की भलाई के लिए ही कहते हैं जैसे की यहाँ साजिशन शब्द की भी चर्चा हुई है तो सच पूछो तो जो आद० समर भाई जी ने कहा वो ही मेरे मन में कहने के लिए आया था किन्तु फिर देखा समर भाई जी पहले ही कह चुके हैं साजिशन शब्द किसी हिंदी या उर्दू के शब्दकोश में फिलहाल तो नहीं है  जब दूसरा विकल्प  ले सकते हैं तो उसी शब्द की हिमायत करना नवांकुरों को भी भ्रमित करने जैसा हो जाएगा | आद० गिरिराज जी ने भी इस बात को स्वीकारा है क्यूंकि वे खुद एक सुलझे हुए गज़लकार हैं जानते हैं की मोहतरम समर भाई जी कोई बात करते हैं तो मजबूत तथ्यों के आधार पर ही कहते हैं | यही बात इस ग़ज़ल में भी है सकुचीली शब्द होता ही नहीं है सकुचाई हो सकता है किन्तु सकुचीली नहीं

इसी लिए पाठकों ने इंगित भी किया है | अतः जो बात सही है उसे मानना चाहिए व्यर्थ की बहस में न पडकर इस सीखने सिखाने के मंच से लाभान्वित होना चाहिए | 

Comment by नाथ सोनांचली on August 9, 2017 at 10:34pm
आद0 बसंत कुमार शर्मा जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल पर दाद और मुबारकबाद क़बूलें, सादर।
Comment by Samar kabeer on August 9, 2017 at 10:04pm
जनाब नीरज कुमार जी आदाब,चर्चा वो सार्थक होती है जो सही बिन्दू पर की जाये,एक ऐसे शब्द पर की गई चर्चा जिसका उर्दू हिन्दी शब्दकोष में दूर दूर तक पता नहीं,समय की बर्बादी है, आप यहाँ ये कह सकते हैं कि साहित्य की मिसाल पेश करने के लिये आपसे मैंने ही कहा था,लेकिन आप इस बात को नहीं समझ पाए कि 'साजिशन'शब्द कविता में नहीं ग़ज़ल में इस्तेमाल हुआ है,और आप मिसालें कविता की दे रहे हैं,ये कोई बात नहीं हुई,क्योंकि कविता और वो भी अतुकान्त,और ग़ज़ल दोनों अलग अलग मिज़ाज रखती हैं,तो क़ायदे से आपको ग़ज़ल से ही इसकी मिसाल पेश करना थी,मंच के जिस शाइर ने ये प्रयोग अंजाने में कर लिया वो भी इस बात को तस्लीम कर चुके हैं कि उन्होंने ग़लत किया,और आप इस पर तर्क पर तर्क दिए जा रहे हैं कि मंच इस ग़लत शब्द को स्वीकार करे,ऐसा नहीं होता,ये मंच सीखने सिखाने का ज़रूर है, लेकिन ग़लत नहीं,सही सिखाने का,जब ये साबित हो गया कि ये शब्द किसी शब्दकोष में नहीं है तो आप इस पर बहस क्यों करते हैं ।
इस मंच पर हमारा उद्देश्य यही है कि हम यहाँ के सदस्यों को सही जानकारी दें,उन्हें सही दिशा दिखाएँ,और आप हमारे उद्देश्य के ख़िलाफ़ उन्हें ग़लत दिशा दिखा रहे हैं,अब ये मंच के लोगों को तय करना है कि वो क्या सीखना चाहते हैं ग़लत की सही ?
और अगर आप मंच को सही दिशा दिखाएँ तो आपका हमेशा स्वागत है,अन्यथा मैं ऐसी बेकार की बहस में अपना समय बर्बाद करने के लिए क़तई तैयार नहीं,मंच के लोगों को मेरी इस टिप्पणी के जवाब में अपना मत ज़रूर रखना चाहिए कि उनका पक्ष क्या है,वो सही सीखना चाहते हैं या गलत ?
Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 9, 2017 at 9:23pm

आदरणीय नीरज कुमार जी , हो सकता है , लोग अधिकतर शर्मीली का उपयोग करते हैं, कुछ नयापन लाने के लिए मैंने यह प्रयोग किया है, सादर

Comment by Niraj Kumar on August 9, 2017 at 7:57pm

आदरणीय बसंत जी, 

'सकुचीली' का हिंदी साहित्य में प्रयोग मेरी नज़र से नहीं गुज़ारा. सामान्य भाषा में भी इसके प्रयोग कि स्थिति इस बात से समझी जा सकती है कि गूगल पर सर्च करने पर इसकी इंट्री ही नहीं मिलती.

सादर  

Comment by Niraj Kumar on August 9, 2017 at 6:53pm

जनाब समर कबीर साहब, आदाब,

''साजिशन'की कोई एक मिसाल पेश कीजिये,अगर ये आम है तो,और मिसाल गूगल से नहीं साहित्य से पेश कीजियेगा,शुक्रगुज़ार रहूँगा' 

तात्कालिक तौर पर कविताकोश से कुछ उदहारण :

वही सनातन स्त्री
जिसकी दुनिया घूमती है
एक छोटे दायरे में साजिशन
और ताना भी सुनती है वही
कि नहीं है बड़े दायरे के लायक

-  रंजना जायसवाल

 

साजिशन फुसफुसा रहे है कानों में
इशारों में समझ रहे हैं टीलों को लूट लेने के गुर
सुनहरी रेत उनकी आंखों में 
शुद्ध सोने-सी चमक रही है

- अश्वनी शर्मा

 

 

प्रस्तावित स्मारक-स्थल पर देश के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ राजेन्द्र् प्रसाद द्वारा वर्ष १९५९ में जो शिलापट स्थापित किया गया था, उसे भी साजिशन उखड़वा कर गायब कर देना न केवल तत्कालीन राष्ट्रपति महोदय की अवमानना है, वास्तविक ऐतिहासिक तथ्यों को मिटाने का कुत्सित प्रयास भी है.

.

                             -  कृष्ण कुमार राय, ‘प्रेमचंद की शेष रचनाएं’ की भूमिका                    

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 9, 2017 at 9:59am

सकुचीली का अर्थ

source https://hi.wiktionary.org/wiki//विक्षनरी:हिन्दी-हिन्दी/स

सकुचीला वि० [हिं० सकुच + ईला (प्रत्य०)] [वि० स्त्री० सकुचीली] जिसे अधिक संकोच हो। संकोच करनेवाला। शरमीला।

http://shabdkosh.raftaar.in/Meaning-of-सकुचीली-in-Hindi

Meaning of सकुचीली in Hindi

  1. लजवंती
  2. लज्जावती लता
Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 9, 2017 at 9:47am

 आदरणीय C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" जी आपका दिल से शुक्रिया, मुग्ध हूँ आपकी मनभावन प्रतिक्रिया पर, रचना सार्थक हुई.

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 9, 2017 at 9:45am

आदरणीय Niraj Kumar जी औसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया,

जितनी मुझे जानकारी है, हिंदी में  ऐसे शब्दों का प्रयोग होते हैं जैसे लजाना > लजीली , शर्माना >शर्मीली , ऐसे ही सकुचाना > सकुचीली 

इस शब्द पर मंच पर चर्चा हो तो मुझे भी अच्छा लगेया और ज्ञान बढेगा. 

यूँ ही स्नेह बनाये रखें,  सादर.

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 9, 2017 at 9:39am

आदरणीय  Samar kabeer जी हौसलाफजाई का दिल से शुक्रिया , यूँ ही स्नेह बनाये रखें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
3 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
6 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service