For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पिंजड़ा -- डॉo विजय शंकर

पिंजड़ा भी ,
एक अजीब बंधन है ,
दाना भी , पानी भी , बस ,
बंद पंछी उड़ नहीं सकता।
हौसलों से कहते हैं कि
क्या कुछ हो नहीं सकता ,
हो सकता है , बस पंछी ,
पिंजड़ा लेकर उड़ नहीं सकता।
कितने आज़ाद हैं हम ,
फिर भी उड़ नहीं पाते ,
मुक्त हो नहीं पाते ,
उन्मुक्त होकर जी नहीं पाते ,
बाहर से आज़ाद हैं , बस ,
कुछ पिंजड़े हैं हमारे अंदर ,
बाँधे हैं , कुछ ढीले , कुछ कस कर।
रूढ़ियाँ कब बन जाती हैं बेड़ियाँ ,
बंधे रह जाते हैं हम , पता नहीं चलता ,
एक जकड़न में , एक अकड़न में ,
कि दाना-पानी , सब है इसी में ,
बस इसी जकड़ - अकड़ से निकल लें
तो मुक्ति, वरना आज़ाद
कोई और कर नहीं सकता।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 669

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 3, 2016 at 8:27am
" उसे हम पर तो देते हैं मगर उड़ने नहीं देते // हमारी बेटी बुलबुल है मगर पिंजरे में रहती है "
यह पंक्ति फेसबुक से ली है , आज ही , किसी श्री रहमान मुस्सावीर साहब ने एक पंक्ति की यह कविता लिखी है।
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 3, 2016 at 7:52am
आदरणीय लक्षमण रामानुज लाडिवाला , रचना को स्वीकृति प्रदान करने हेतु आपका ह्रदय से आभार एवम धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 3, 2016 at 7:52am
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , रचना को मान देने हेतु आपका ह्रदय से आभार एवम धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 3, 2016 at 7:45am
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , प्रस्तुत अतुकांत कविता पर आपकी उपस्थिति , उसे स्वीकृति प्रदान कर प्रशस्ति प्रदान करने हेतु आपका ह्रदय से आभार एवम धन्यवाद , सादर।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 2, 2016 at 3:56pm
आजाद होकर भी आजाद नहीं | सही कहा अपने कई तरह की बेड़ियों में आज भी जकड़ें है | सुंदर प्रस्तुति
Comment by Shyam Narain Verma on August 2, 2016 at 11:07am
सार्थक सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई आपको । ..सादर 
Comment by Samar kabeer on August 2, 2016 at 10:11am
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,हम आज़ाद होकर भी आज़ाद नहीं,बहुत उम्दा कटाक्ष हैं आपकी कविता में पढ़ कर आनन्द आया,बधाई स्वीकार करें इस शानदार प्रस्तुति पर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आपने कविता में संदर्भ तो महत्वपूर्ण उठाए हैं, उस दृष्टि से कविता प्रशंसनीय अवश्य है लेकिन कविता ऐसी…"
11 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" पर्यावरण की इस प्रकट विभीषिका के रूप और मनुष्यों की स्वार्थ परक नजरंदाजी पर बहुत महीन अशआर…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"दोहा सप्तक में लिखा, त्रस्त प्रकृति का हाल वाह- वाह 'कल्याण' जी, अद्भुत किया…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीया प्राची दीदी जी, रचना के मर्म तक पहुंचकर उसे अनुमोदित करने के लिए आपका हार्दिक आभार। बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी इस प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरे प्रयास को मान देने के लिए। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह एक से बढ़कर एक बोनस शेर। वाह।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"छंद प्रवाह के लिए बहुत बढ़िया सुझाव।"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"मानव के अत्यधिक उपभोगवादी रवैये के चलते संसाधनों के बेहिसाब दोहन ने जलवायु असंतुलन की भीषण स्थिति…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान,…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service