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पहले आप - डॉo विजय शंकर

पहले आप
पहले आप
एक तहजीब थी ,
अंग्रेजी में ,
ऑफ्टर यू ,
एक ही बात ,
आपके बाद।
आपका दौलत खाना ,
ख़ाकसार का गरीबखाना ,
आपके करम ,
बन्दे की खिदमत।
हम कुछ भी हों ,
आपके आगे कुछ नहीं।
वक़्त बदल गया।
पर सब कुछ वैसा ही है ,
तहज़ीब के पैमाने वही।
आपके आगे हम
आज भी कुछ नहीं ,
कुछ नहीं करने में
आप हमसे आगे ,
आपके घोटाले बड़े ,
इतने कि धरती धकेल दें ,
आप आगे , हम बहुत पीछे।
कामचोरी में आप ,
अपराध के आकड़ों में
वहां भी पहले आप ,
बड़ों बड़ों के बाप।
आपकी लूट दौलत खाना ,
हमारी लूट गरीब खाना।
आपसी शिष्टाचार है ,
बस बनाये रहिये।


मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on August 11, 2016 at 5:31am
पहले आप को पसंद करने के लिए गिरिराज भंडारी जी आभार एवं धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2016 at 9:42pm

आदरणीय विजय भाई , बहुत अच्छी और सही बात कही है , हार्दिक बधाई आपको ।

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