For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :- हज़रत-ए-'मीर' की ज़मीन में

फाइलातुन मफाइलुन फेलुन / फइलुन / फेलान

चैन इस दिल को कब नहीं आता
बाम पर चाँद जब नहीं आता

ख़ुश मिज़ाजी हमारा शैवा है
हमको गैज़-ओ-ग़ज़ब नहीं आता

सब हैं सैराब आपके दर से
एक भी तिश्ना लब नहीं आता

नामा उनका लिये हुए क़ासिद
पहले आता था अब नहीं आता

तल्ख़ लहजा मिरा मुआफ़ करें
बे अदब हूँ अदब नहीं आता

'मीर' साहिब,ग़ज़ल कही लेकिन
शैर कहने का ढब नहीं आता

ज़िक्र तेरा "समर" करेंगें वो
नाम भी ज़ेर-ए-लब नहीं आता

समर कबीर
मौलिक / अप्रकाशित

Views: 1494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on March 14, 2016 at 1:06pm

बहुत ही खूबसूरत गज़ल है, पढ़ कर दिल बाग-बाग हुआ । बस, ऐसा ही लिखते रहें।

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on March 5, 2016 at 10:25am

जनाब समर साहब सलाम अर्ज़ है, सुन्दर गजल है ..उर्दू लफ्ज मुझे तो बहुत कम मालूम है फिर भी मजा आया..नादिर जी की बातों से कुछ तो आप ने स्पष्ट कर ही दिया ..कुछ कठिन शब्द के मायने अगर लिख देंगे तो मुझसे लोगों को और आनंद आएगा 

भ्रमर ५

Comment by Samar kabeer on February 15, 2016 at 10:57pm
जनाब तस्दीक़ अहमद जी,आदाब,जी मुझे मालूम है !
ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on February 15, 2016 at 10:54pm
जनाब रवि शुक्ल जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 11, 2016 at 9:15pm

मोहतरम जनाब समर  कबीर साहिब आदाब,बेहतर ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं / टाइप मिस्टेक की वजह से गड़बड़ हुई है / मेरे ख़याल से  आपने जो लफ्ज़ ग़ज़ल में इस्तेमाल किया है वह शेवा नहीं बल्कि शेवह है। ...... जिसका मतलब तौर , तरीक़ ,अंदाज़ है /  शुक्रिया 

Comment by Ravi Shukla on February 11, 2016 at 2:09pm

आदरणीय समर कबीर जी, कमाल की ग़ज़ल कही है आपने.  इस शानदार और लाजवाब ग़ज़ल पर शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं.

Comment by Samar kabeer on February 10, 2016 at 10:28pm
जनाब नादिर ख़ान जी,वालेकुमस्सलाम,

"ये मयख़ाना है बज़्म-ए-जम नहीं है
यहाँ कोई किसी से कम नहीं है !"

आपका बहुत बहुत शुक्रिया,एडिट करवाता हूँ,"शैवा" का मतलब है :- तौर-तरीक़-अंदाज़ ।
Comment by Samar kabeer on February 10, 2016 at 10:22pm
जनाब जयनित कुमार मेहता जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on February 10, 2016 at 10:20pm
मोहतरमा राहिला जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by नादिर ख़ान on February 10, 2016 at 12:36pm

 जनाब समर साहब सलाम अर्ज़ है, देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ |

आदरणीय मिथिलेश साहब ने रिप्लाई कर दिया उनका शुक्रिया ...
शैर को शेर कर लीजियेगा और ज़ैर-ए-लब को ज़ेर-ए-लब, मुझे शैवा का मायने नहीं पता कृपया बताने का कष्ट करें |
सादर ..

(छोटे मुँह बड़ी बात हो गयी हो तो माफ़ कर दीजियेगा क्योंकि हमें अंग्रेजी आती नहीं है, उर्दू बहुत कमज़ोर है और हिंदी सीख रहे है ।  )

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
16 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service