For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"निजात" लघुकथा :-
"मग़रिब की नमाज़ पढ़कर मैं जब मस्जिद से निकला तो मुझे हामिद मिल गया,वो मुझे बहुत परेशान दिखाई दिया,उसके चहरे पर हवाइयाँ उड़ रही थीं ।
मैं उसका दिल बहलाने की ग़रज़ से उसे साथ लेकर बाज़ार आ गया, थोड़ी देर टहलने के बाद हम एक होटल में आ गए , वहाँ हमने नाश्ता किया और चाय पी , आज भी हामिद ने अपनी परेशानियों का ज़िक्र मुझसे किया , मैंने उसे समझाया कि , तुम्हे हिम्मत से काम लेना चाहिये ,और कोशिश नहीं छोड़नी चाहिये , उसने कहा , नौकरी तो जब मिलेगी तब मिलेगी , मुझ पर इतना क़र्ज़ हो गया है कि उसका अदा करना मेरे बस में नहीं , सब अपना अपना रूपया मांगते है , कब तक बहाने करूँ ? , उसकी बात सुनकर मैं उसका मुँह देखता रहा , और करता भी क्या ?, कुछ देर हम दोनों चुप चाप बैठे रहे , फिर वो बोला , "आपके पास दस रूपये होंगे ?", मैंने हाँ में गर्दन हिला दी , और जेब से दस रूपये निकाल कर उसे दे दिये , थोड़ी देर बाद वह मुझसे इजाज़त लेकर चला गया , कहाँ ? , मुझे नहीं मालूम ।
अगले दिन सुबह मैं घर से ऑफिस के लिये निकला तो हामिद के घर से सामने भीड़ देख कर ठिठक गया , क़रीब जाने पर लोगों ने बताया कि हामिद के घर का दरवाज़ा सुबह से नहीं खुला , ख़तरनाक अंदेशे मुँह फाड़े मेरे सामने आने लगे , कुछ देर बाद पुलिस आई , दरवाज़ा तोड़ा गया , सब ने देखा कि हामिद का पूरा परिवार मौत की गहरी नींद सो गया है , मेरे दिये हुए दस रुपये से उसने अपने और अपने परिवार के लिये निजात का रास्ता पा लिया था"।

- समर कबीर
मौलिक / अप्रकाशित

Views: 711

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on February 2, 2016 at 5:25pm
जनाब विजय निकोर जी आदाब,रचना की सराहना के लिये धन्यवाद !
Comment by vijay nikore on February 2, 2016 at 3:40pm

अति मार्मिक, अति सुन्दर लघु कथा, जनाब समर जी। बधाई।

Comment by Samar kabeer on January 24, 2016 at 2:17pm
आली जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,रचना के लिये धन्यवाद |
Comment by Samar kabeer on January 24, 2016 at 2:14pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,रचना की सराहना के लिये धन्यवाद |
Comment by Samar kabeer on January 24, 2016 at 2:12pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,रचना की सराहना के लिये धन्यवाद |
Comment by Samar kabeer on January 24, 2016 at 2:10pm
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,रचना की सराहना के लिये धन्यवाद |
Comment by Samar kabeer on January 24, 2016 at 2:08pm
जनाब रवि प्रभाकर जी आदाब,रचना की सराहना और मार्गदर्शन के लिये धन्यवाद |
Comment by Samar kabeer on January 24, 2016 at 2:05pm
जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब,रचना की सराहना के लिये धन्यवाद |
Comment by Samar kabeer on January 24, 2016 at 2:02pm
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,रचना की सराहना के लिये धन्यवाद |
Comment by Samar kabeer on January 24, 2016 at 2:01pm
मोहतरमा प्रतिभा पण्डे जी आदाब,रचना की सराहना के लिये धन्यवाद |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service