For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बह्र : २२ २२ २२ २

शास्त्र पढ़े विज्ञान पढ़ा
कब तुमने इंसान पढ़ा

बस उसका गुणगान पढ़ा
कब तुमने भगवान पढ़ा

गीता पढ़ी कुरान पढ़ा
कब तुमने ईमान पढ़ा

कब संतान पढ़ा तुमने
बस झूठा सम्मान पढ़ा

जिनके थे विश्वास अलग
उन सबको शैतान पढ़ा

जिसने सच बोला तुमसे
उसको ही हैवान पढ़ा

सूरज निगला जिस जिस ने
उस उस को हनुमान पढ़ा
---------
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 612

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 12, 2015 at 3:51pm

बहुत बहुत शुक्रिया  Shyam Mathpal जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 12, 2015 at 3:51pm

आदरणीय गोपाल नारायन जी, इस बह्र में यदि लय भंग न हो तो २२२ को १२१२ भी लिया जा सकता है। अतः मिसरा बह्र से बाहर नहीं है। ग़ज़ल पसंद करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 12, 2015 at 3:49pm

बहुत बहुत शुक्रिया  maharshi tripathi  जी

Comment by Hari Prakash Dubey on March 12, 2015 at 2:17pm
आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी बहुत सुन्दर !
शास्त्र पढ़े विज्ञान पढ़ा
कब तुमने इंसान पढ़ा...वाह , बधाई आपको इस रचना पर ! सादर
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2015 at 11:29am

जिनके थे विश्वास अलग
उन सबको शैतान पढ़ा

बस उसका गुणगान पढ़ा
कब तुमने भगवान पढ़ा

इस लाजवाब रचना के लिए कोटि कोटि बधाई ...आ० भाई धर्मेन्द्र जी .

Comment by khursheed khairadi on March 12, 2015 at 9:13am

कब संतान पढ़ा तुमने
बस झूठा सम्मान पढ़ा

जिनके थे विश्वास अलग
उन सबको शैतान पढ़ा

आदरणीय धर्मेंदर जी ,उम्दा ग़ज़ल हुई है |ढेरों बधाई स्वीकार करें |सादर अभिनन्दन |

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 12, 2015 at 5:53am

वाह..... शास्त्र पढ़े विज्ञान पढ़ा .... कब तुमने इंसान पढ़ा.... बहुत ख़ूब.... सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 12, 2015 at 5:12am
सुन्दर एवं प्रभावशाली , बहुत बहुत बधाई , आदरणीय धर्मेन्द्र कुमारर जी , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 12, 2015 at 5:04am

आदरणीय धर्मेन्द्र जी छोटी बह्र की बेहतरीन ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई निवेदित है 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 11, 2015 at 10:21pm

सुन्दर गजल के लिए दाद! कबूल फरमाए! भाई धर्मेंद्र ज़ी! बहुत बहुत ही सुन्दर गजल हुयी है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
34 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपने अन्यथा आरोपित संवादों का सार्थक संज्ञान लिया, आदरणीय तिलकराज भाईजी, यह उचित है.   मैं ही…"
54 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी जी, आपने बहुत शानदार ग़ज़ल कही है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मनुष्य से आवेग जनित व्यवहार तो युद्धभा में भी वर्जित है और यहां यदा-कदा यही आवेग ही निरर्थक…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी हुई। मेरे प्रयास को मान देने के लिए…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपके…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"2122 - 1122 - 1122 - 112 / 22 हमने सीखा है ये धड़कन की ज़बानी लिखना दिल पे आता है हमें दिल की…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service