For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चोट दिल पे लगी है दवा दो मुझे
याद आये न उसकी दुआ दो मुझे

प्‍यार जिससे किया छुप गया वो कहीं
ऐ हवा तुम ही उसका पता दो मुझे

मर न जायें कहीं प्‍यार के दर्द से
दर्द कैसे सहें तुम सिखा दो मुझे

हर खुशी आपको तो दिया हूँ मगर
दिल दुखाया कभी तो सज़ा दो मुझे

अब जुदाई न मुझसे सही जाती है
मौत की नींद आकर सुला दो मुझे

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी

Views: 634

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on December 25, 2014 at 9:22am

आर्शीवााद एवं मार्गदर्शन के लिये आपको  हार्दिक नमन आदरणीय रामाश्रे जी

Comment by Akhand Gahmari on December 25, 2014 at 9:21am

आर्शीवााद एवं मार्गदर्शन के लिये आपको  हार्दिक नमन आदरणीय डा0 गोपाल नारायण बागी जी

Comment by Akhand Gahmari on December 25, 2014 at 9:21am

आर्शीवााद एवं मार्गदर्शन के लिये आपको  हार्दिक नमन आदरणीय जवाहर लाल सिह जी

Comment by Akhand Gahmari on December 25, 2014 at 9:21am

आर्शीवााद एवं मार्गदर्शन के लिये आपको  हार्दिक नमन आदरणीय शिज्‍जु शकूर जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 22, 2014 at 9:49pm

बहुत बढ़िया अखंड भाई आपको बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 22, 2014 at 5:57pm

अच्छी लगी और आदरणीय बागी जी का सुझाव भी सादर!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 22, 2014 at 4:08pm

गहमरी जी

बहुत् बढ़िया i क्या जमकर लिख रहे है i वाह -- i

Comment by Ram Ashery on December 22, 2014 at 10:52am

very nice composition , congratulation

 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 21, 2014 at 4:10pm

आदरणीय गहमरी जी, अच्छी ग़ज़ल कही है, रदीफ़, काफिया और वजन का बढ़िया निर्वहन हुआ है . नीचे लिखा शेर देख लें, उसमे तकाबुले रदीफ़ ऐब सेंध लगा लिया है .

//मर न जायें कहीं प्‍यार के दर्द से
दर्द कैसे सहें तुम सिखा दो मुझे//

उपाय : प्‍यार के दर्द से मर न जायें कहीं

बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर .

Comment by harivallabh sharma on December 21, 2014 at 2:45pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल..

प्‍यार जिससे किया छुप गया वो कहीं
ऐ हवा तुम ही उसका पता दो मुझे...सुन्दर शेर...बधाई  आदरणीय.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी आ मैं आपसे सहमत हूँ लेकिन इस तरह से भी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए बिना सोचे समझे आप कह रहें हैं…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी आ अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकारें इस्लाह भी ख़ूब हुई है"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी आ अच्छी ग़ज़ल हुई गुणीजनों की इस्लाह भी ख़ूब हुई है बधाई स्वीकार करें"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"ख़ूब ग़ज़ल हुई आ रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी आ अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें इस्लाह भी ख़ूब हुई"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"ख़ूब कही अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आ"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"अच्छी और अलग अंदाज़ की ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आ"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आ अमीर जी"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी आ अच्छी ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आ अमित जी की इस्लाह भी ख़ूब हुई"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"बहुत बहुत शुक्रिया आ"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"बहुत बहुत शुक्रिया आ"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"बहुत बहुत शुक्रिया आ"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service