For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

न होना दूर नज़रों से कसम हमको खिलाती थी
न दे जब साथ लब उसके इशारो से बुलाती थी

किताबों में छुपाती थी दिया हमने जो दिल उसको
बचा नज़रे सभी की वो उसे दिल से लगाती थी

चुरा नज़रे सभी की हम मिले जब बाग में इक दिन
लगा कर वो गले हमको बढ़ी धड़कन सुनाती थी

कभी आँखों मे डाले अाँख कर देता शरारत तो
चुरा कर वो नज़र हमसे जरा सा मुस्‍कुराती थी

न भूलेगे कभी हम तो बिताये साथ पल उसके
छुपा कर चाँद सा मुखड़ा हमें हरदम सताती थी

मौलिक एवं अप्रकाशित

अखंड गहमरी

Views: 783

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on September 7, 2014 at 8:15pm

हम आपके मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन्‍ा के सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करें आदरणीय डा0 आशुतोष मिश्रा जी

Comment by Akhand Gahmari on September 7, 2014 at 8:15pm

हम आपके मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन्‍ा के सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करें आदरणीय लक्ष्‍मण धामी जी

Comment by Akhand Gahmari on September 7, 2014 at 8:14pm

हम आपके मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन्‍ा के सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करें आदरणीय डा0 गोपाल नारायण श्रीवास्‍तव जी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 7, 2014 at 7:17pm

चुरा नज़रे सभी की हम मिले जब बाग में इक दिन

लगा कर वो गले हमको बढ़ी धड़कन सुनाती थी.........सुनहरे पलो की याद दिलाती ..गुदगुदाती शानदार रचना ..बहुत पसंद आयी ..सादर बधाई के साथ 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 7, 2014 at 4:50pm

लाजवाब गजल हार्दिक बधाइ

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 7, 2014 at 12:57pm

गहमरी जी

मै तो यही कहूँगा -

कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन ---

Comment by Akhand Gahmari on September 7, 2014 at 12:07pm

हम आपके मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन्‍ा के सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करें आदरणीय शिज्‍जु शकूर  जी

Comment by Akhand Gahmari on September 7, 2014 at 12:07pm

हम आपके मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन्‍ा के सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करें आदरणीय डा विजय शंकर  जी

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 7, 2014 at 11:40am
सुन्दर ,आदरणीय अखंड गहमरी जी , बधाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 7, 2014 at 9:34am

बहुत बढ़िया आदरणीय अखंड भाई बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
2 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
16 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
21 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
23 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मनुष्य से आवेग जनित व्यवहार तो युद्धभा में भी वर्जित है और यहां यदा-कदा यही आवेग ही निरर्थक…"
23 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी हुई। मेरे प्रयास को मान देने के लिए…"
31 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपके…"
34 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"2122 - 1122 - 1122 - 112 / 22 हमने सीखा है ये धड़कन की ज़बानी लिखना दिल पे आता है हमें दिल की…"
37 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बे-म'आनी को कुशलता से म'आनी लिखना तुमको आता है कहानी से कहानी लिखना यह शेर किसी के हुनर…"
38 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज सर, बहुत समय बाद आयोजन के लिए ग़ज़ल कही है। आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी…"
43 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, मुझे उचित प्रतीत नहीं होता कि मैं उपर्युक्त संवाद-प्रक्रिया पर कुछ…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service