For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन में सद्विचार रहे, नेक करे वह काम,

फल की इच्छा छोड़कर, कर्म करे निष्काम

कर्म करे निष्काम,  भाव संतोषी पाते

काम क्रोध मद लोभ स्वार्थ के रंग दिखाते

कर लक्षमण सद्कर्म नम्रता रहे वचन में

गीता में सन्देश, रहे निश्छलता मन में ||

(2)

करे प्रशंसा स्वयं की, और स्वयं से प्रीत,

आत्म मुग्ध के आग्रही, ये दर्पण के मीत

ये दर्पण के मीत,  संग चमचों के रहते

अपने को सर्वोच्च अन्य को तुच्छ समझते

कह लक्ष्मण कविराज इन्हें भाती अनुशंसा

इनको होता हर्ष, तभी जब करे प्रशंसा ||

(मौलिक व अप्रकाशित) 

 

Views: 537

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2014 at 9:51pm

करे प्रशंसा स्वयं की, और स्वयं से प्रीत,

आत्म मुग्ध के आग्रही, ये दर्पण के मीत

ये दर्पण के मीत,  संग चमचों के रहते

अपने को सर्वोच्च अन्य को तुच्छ समझते

कह लक्ष्मण कविराज इन्हें भाती अनुशंसा

इनको होता हर्ष, तभी जब करे प्रशंसा ||             बहुत खूब भाई लक्ष्मण , लाजवाब कुण्डलिया के लिए बधाई |

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 19, 2014 at 8:25pm

मन में सद्विचार रहे, नेक करे वह काम,

फल की इच्छा छोड़कर, कर्म करे निष्काम

आदरणीय लडीवाला साहब, सुन्दर विचारों से ओतप्रोत सुन्दर कुण्डलियाँ ...आपकी कुण्डलियाँ मैं हमेशा पढता हूँ आगे भी पढता रहूँगा ... 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 19, 2014 at 11:08am

आ० भाई लडीवाला जी, बहुत सुन्दर कुण्डलिया हुई है ,हार्दिक बधाई .

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 19, 2014 at 11:00am

कुण्डलिया छंद पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया मीना पाठक जी एवं कल्पना मिश्रा जी 

सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 19, 2014 at 10:27am

छंद सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार सर्वश्री डॉ विजय शंकर जी, एवं डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी |

सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on August 18, 2014 at 8:40pm

करे प्रशंसा स्वयं की, और स्वयं से प्रीत,

आत्म मुग्ध के आग्रही, ये दर्पण के मीत.................... सार्थकता दर्शाते शब्द । सर आप को बहुत बधाई 

Comment by Meena Pathak on August 18, 2014 at 7:37pm

बहुत सुन्दर कुण्डलिया ..सादर बधाई स्वीकारें

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 18, 2014 at 6:29pm

लडीवाला जी

बहुत सुन्दर कुण्डलिया i

बेहद सुंदर i

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 18, 2014 at 4:51pm
" फल की इच्छा छोड़कर, कर्म करे निष्काम " कृष्ण जन्माष्टमी को एक सही शिक्षा .
सुन्दर रचना , बधाई , आदरणीय लक्षमण लाडीवाला जी .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
2 minutes ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
3 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
3 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
4 hours ago
Ravi Shukla commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
4 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
4 hours ago
Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service