तेरी मेरी बात पर फँस जाता इन्सान,
धन दौलत को देखकर, खो देता ईमान |
अग्नि परीक्षा दे रही कितनी सीता आज,
दुष्ट दुशासन लूटते, नित श्यामा की लाज |
रिश्ते नातो में भरो मधुर प्रेम का सार
प्यार भरे व्यवहार से मिटते कष्ट हजार |
संस्कारी परिवार में, बच्चें ही जागीर,
ह्रदय प्रेम उमड़े सदा, दिल से रहे अमीर |
भावुकता वरदान हो, समझे मन की पीर,
गलत काम का खौफ हो, खुशियों में हो सीर |
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
बहुत ही सुंदर संदेशप्रद दोहे रचे आपने आदरणीय लक्ष्मण जी, आपको बहुत -२ बधाई
शुक्रिया श्री नरेंद्र सिंह चौहान जी
आपका हार्दिक आभार श्री (डॉ) गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी | सादर
आपका हार्दिक आभार आदरणीया महिमा श्री जी, और श्री श्याम नारायण वर्मा जी | सादर
दोहे पसंद करने के लिए शुक्रिया श्री अखंड गहमरी जी
लडीवाला जी
आपके दोहों में बेहतर सुधार हुआ है i मेरी बधाई i
" सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर............. " |
बहुत सुंदर दोहें हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय लक्ष्मण सर सादर
रिश्ते नातो में भरो मधुर प्रेम का सार
प्यार भरे व्यवहार से मिटते कष्ट हजार |--------------हजारों बातो की यह एक है बात प्यार से बढ़कर कुछ नहीं बहुत बधाई हो आदरणीय नमन स्वीकार करें
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