For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरी मेरी बात पर फँस जाता इन्सान,

धन दौलत को देखकर, खो देता ईमान |

 

अग्नि परीक्षा दे रही कितनी सीता आज,

दुष्ट दुशासन लूटते, नित श्यामा की लाज |

रिश्ते नातो में भरो मधुर प्रेम का सार

प्यार भरे व्यवहार से मिटते कष्ट हजार |

संस्कारी परिवार में, बच्चें ही जागीर, 
ह्रदय प्रेम उमड़े सदा, दिल से रहे अमीर |

भावुकता वरदान हो, समझे मन की पीर,
गलत काम का खौफ हो, खुशियों में हो सीर |

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 15, 2014 at 8:21pm

बहुत ही सुंदर संदेशप्रद दोहे रचे आपने आदरणीय लक्ष्मण जी, आपको बहुत -२ बधाई

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2014 at 3:56pm

शुक्रिया श्री नरेंद्र सिंह चौहान जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2014 at 3:03pm

आपका हार्दिक आभार श्री (डॉ) गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2014 at 3:01pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीया महिमा श्री जी, और श्री श्याम नारायण वर्मा जी | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 12, 2014 at 6:35pm

दोहे पसंद करने के लिए शुक्रिया श्री अखंड गहमरी जी 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 5:49pm

लडीवाला जी

आपके दोहों में बेहतर सुधार हुआ है  i मेरी बधाई i

Comment by Shyam Narain Verma on September 11, 2014 at 10:47am
" सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर............. "
Comment by MAHIMA SHREE on September 10, 2014 at 10:42pm

बहुत सुंदर दोहें हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय लक्ष्मण सर सादर 

Comment by Akhand Gahmari on September 10, 2014 at 7:50pm

रिश्ते नातो में भरो मधुर प्रेम का सार

प्यार भरे व्यवहार से मिटते कष्ट हजार |--------------हजारों बातो की यह एक है बात प्‍यार से बढ़कर कुछ नहीं बहुत बधाई हो आदरणीय नमन स्‍वीकार करें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
12 hours ago
ajay sharma shared a profile on Facebook
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service