क्रिकेट की मंडी भारत है, जहाँ हर क्रिकेटर बिक जाय।
लग जाती है जिसकी बोली, खुश होकर “याहू” चिल्लाय।।
पशु जैसे नीलाम हो गये, धन के आगे सब मजबूर।
क्रेता इन सब का मालिक है, और सभी बँधुवा मजदूर॥
अच्छा है मौजूद नहीं थे, जहाँ हुए थे सब नीलाम।
ठोक बजाकर देखे जाते, नस्ल कौन सी, क्या है दाम।।
इज्ज़त से बढ़कर पैसा है, जो देता ऐश्वर्य तमाम।
खुश दिखते हैं बिकने वाले, नहीं बिके तो, नींद हराम॥
खेल अज़ब है “बीस-बीस” का, धन की बारिश होती जाय।
हार गये तो भी पैसा है, जीत गये तो और कमाय।।
शातिर करते सट्टेबाज़ी, गुप-चुप चलते अपनी चाल।।
मैच फिक्स जो करें खिलाड़ी, हो जाते हैं मालामाल॥
जो लोभी हैं, ज़्यादा चाहें, खेल भावना कोसों दूर।
नीलामी के पट्टे बांधे, ये सब लगते हैं लंगूर।।
बीस-बीस के इस सर्कस में, जो बिक जाये उसको चांस।
हर चौके छक्के पर देखो, अर्ध नग्न गोरी का डांस।।
रोटी कपड़ा घर जो मांगे, खेल तमाशा उसे दिखांय।
भूखे नंगे लोग जहाँ हैं, यही देखकर मन बहलांय॥
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव, धमतरी
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय शिज्जु भाई
रचना आपको पसंद आई , हार्दिक धन्यवाद , आभार,
इंडियन पैसा लीग का आपने उचित वर्णन किया बहुत बहुत बधाई
छोटे भाई गिरिराज
हार्दिक धन्यवाद , आभार।
आदरणीय बड़े भाई , आई पी एल की बहुत बढ़िया खबर ली है आपने , अपनी रचना मे , आपको हार्दिक् बधाइयाँ ॥
आदरणीय जितेन्द्र भाई
हार्दिक धन्यवाद , आभार।
क्रिकेट ने अन्य सभी खेलों को खोखला कर दिया है और युवा पीढ़ी को निकम्मा ।
आदरणीय प्रदीप भाईजी
रचना आपको पसंद आई , हार्दिक धन्यवाद , आभार,
आई पी एल क्रिकेट के खोखलेपन ने जिस प्रकार एक दिवसीय और टेस्ट क्रिकेट का स्वाद फीका कर दिया है, आपकी रचना के चटपटे मसाले से आनंद आ गया. हार्दिक बधाई आपको आदरणीय अखिलेश जी
आदरणीय श्री अखिलेश जी
सादर
वास्तविक चित्रण
बधाई
आदरणीय अरुण भाईजी
पूरी रचना पर आपने सार्थक टिप्पणी की, अपना अमूल्य समय दिया , प्रशंसा और सुझाव पर सुंदर छंद रचे, यह सब मेरे लिए उत्साहवर्धक है
ज्वलंत विषय पर मैंने आल्हा छंद के माध्यम से अच्छा लिखने का प्रयास किया है, फिर भी गेयता बाधित हो ही जाती है।
आईपीएल जैसे अछूते विषय पर मेरा प्रयास आपको पसंद आया इसके लिए हार्दिक धन्यवाद , आभार । ऐसा ही स्नेह बनाये रखिये।
आदरणीय केवल प्रसाद्जी
हार्दिक धन्यवाद , आभार
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