For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम ही तुम..........बृजेश

निःश्वसन

उच्छ्वसन

सब देह-कर्म, यह अवगुंठन

मोह-पाश के बंधन तुम

बस तुम! तुम ही तुम

 

व्यक्त हाव

अव्यक्त भाव

नेह-क्लेश, अभाव-विभाव

रूप-गंध के कारण तुम

बस तुम! तुम ही तुम

 

सम्मुख हो जब

विमुख हुए, तब 

मनस-पटल की चेतनता सब 

अनुभूति-रेख में केवल तुम

बस तुम! तुम ही तुम

- बृजेश नीरज 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 806

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on March 25, 2014 at 9:21pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत आभार!

Comment by बृजेश नीरज on March 25, 2014 at 9:21pm

आदरणीया वंदना जी आपका बहुत-बहुत आभार!

Comment by बृजेश नीरज on March 25, 2014 at 9:20pm

आदरणीय जितेन्द्र जी आपका बहुत आभार!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2014 at 5:11pm

जीवन की हर सांस को उस शर्व्शाक्तिमान प्रभु से जोडती इस रोचक रचना के लिए आपको तहे दिल बधाई ..मेरी हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें ..सादर 

Comment by vijay nikore on March 25, 2014 at 11:38am

अति सुन्दर रचना। बधाई।

Comment by annapurna bajpai on March 25, 2014 at 10:40am

बहुत खूब ! आ0 बृजेश जी सुंदर रचना बधाई आपको । 

Comment by Vindu Babu on March 25, 2014 at 6:12am

भावनाओं कोअच्छे ढंग से पिरोया है आपने.

अंतिम बंद सबसे अच्छा लगा।

आपको हार्दिक बधाई इस सुंदर अभिव्यक्ति के लिए आदरणीय।

सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 25, 2014 at 12:04am

मन को छू जाते हुए, बहुत सुंदर भावों से संजोयी रचना.  हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय बृजेश जी

Comment by बृजेश नीरज on March 24, 2014 at 10:14pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी आपके शब्दों ने मेरे प्रयास को एक नया आयाम प्रदान किया है.आपका हार्दिक आभार! 

Comment by बृजेश नीरज on March 24, 2014 at 10:12pm

आदरणीय धामी जी आपका हार्दिक आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
22 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service