For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उन्नीस-बीस (2019-2020) नूतन वर्ष

छोटी बातों से तू  इतना, विचलित क्यूँ कर होता है

जीवन धार नदी की, इसमें उन्नीस बीस तो होता है

दुनियाँ का दस्तूर है, ज्यादा  रोते को रुलवाने का

कितना समझाया तुझको तू, फिर भी नयन भिगोता है

जाने वाले साल को सारे, दुख अपने तू अर्पण कर दे                                                                                                              तेरे भाग्य में फिर वो कैसे, बीज खुशी के बोता है

अस्त हुआ उन्नीस का भानु, बीस का दिनकर द्वार खडा

रजनी की बाहों में लिपटा,तू अब भी बेसुध सोता है

मंदिर मंदिर दौड रहा था, प्रबल भाग्य तू करने को

स्वंय लक्ष्मी  है खडी द्वार पे, और तू माथा धोता है

अवनि सबकी पालन कर्ता, कुछ भीतर ना रखती है

वही काटता मनुज जो धरती, के अंदर वो बोता है

सच्चे मन से पूजा अर्चन,‘दीप’ करो तुम ईश्वर की

सर्दी के मौसम में प्रतिदिन, कौन नहाता धोता है

 

-प्रदीप देवीशरण भट्ट-01.01.2020

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on January 8, 2020 at 12:22pm

विजय जी शुक्रिया

Comment by vijay nikore on January 7, 2020 at 3:03pm

अच्छी रचना के लिए बधाई, मित्र प्रदीप जी।

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on January 2, 2020 at 12:44pm

नवनूतन वर्ष मंगलमय हो, धन्य्वाद छोटेलाल जी

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on January 2, 2020 at 12:44pm

नव नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ शुक्रिया आशीष जी

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on January 2, 2020 at 12:43pm

सुरेंद्र जी नव नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ एव्म धन्यवाद

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on January 2, 2020 at 12:42pm

नव नूतन वर्ष की शुभकामनाएँ,

शुक्रिया लक्ष्मण धामी जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 2, 2020 at 7:08am

आ. भाई प्रदीप देवीशरण जी, सादर अभिवादन। नववर्ष पर सकारात्मक सोच फैलाती सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on January 1, 2020 at 6:27pm

आद0 प्रदीप देवी शरण भट्ट जी सादर अभिवादन। बढ़िया सोच को परिलक्षित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई। 

Comment by आशीष यादव on January 1, 2020 at 1:28pm

बहुत खूब। मार्गदर्शक भी। अंत में"नहाने-धोने" की बात तो और मजेदार लगी।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on January 1, 2020 at 1:12pm

आदरणीय प्रदीप जी इस आकर्षक उन्नीस बीस प्रयास के लिए बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service