For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ क्षणिकाएँ :

कुछ क्षणिकाएँ :

ख़ामोश जनाज़े
करते हैं अक्सर
बेबसी के तकाज़े

ज़माने से

..........................

सवालों में उलझी
जवाबों में सुलझी
अभिव्यक्ति की तलाश में
बीत गयी
ज़िंदगी

.................................

कोलाहल
ज़िंदगी का
डूब जाता है
श्वासहीन एकांत में

...................................

देकर
एक आदि को अंत
लौटते हुए
सभी खुश थे अंतस में
लेकर ये भ्रम
अभी दूर है
अंत
हमारी श्वासों का

............................

रह गया मैं
तुम्हारे पास
कल के एकांत में
उजालों से बचाना
ये निगल न जाए मुझको
तुम्हारे
स्मृति कलश से

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 750

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on October 1, 2019 at 4:44pm

आदरणीय विजय निकोर जी आपकी मनभावन एवं प्रेरक प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। हार्दिक आभार।

Comment by vijay nikore on October 1, 2019 at 3:26pm

बहुत ही खूबसूरत । अच्छा लिखते हैं हमेशा। बधाई, मित्र सुशील जी।

Comment by Sushil Sarna on October 1, 2019 at 3:04pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... सर सृजन आपकी बहुमूल्य प्रेरक प्रतिक्रिया का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on October 1, 2019 at 3:03pm

आदरणीय  बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आपकी मनभावन एवं प्रेरक प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on October 1, 2019 at 3:03pm

आदरणीय केवल प्रसाद सत्यम जी सादर प्रणाम। सृजन आपकी बहुमूल्य प्रेरक प्रतिक्रिया का आभारी है। आपका सुझाव अनुकरणीय है। सर मेरे सृजन में जब तक भाव शब्दों में और शब्द भावों में समाहित नहीं होते तब तक मैं संक्षिप्तता से समझौता नहीं करता। इंगित त्रुटि एडिटिंग के समय रह गई, इस हेतु आपका तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on October 1, 2019 at 2:58pm

आदरणीय  डॉ छोटेलाल सिंह जी आपकी मनभावन एवं प्रेरक प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। हार्दिक आभार। 

Comment by Samar kabeer on September 29, 2019 at 11:08am

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी क्षणिकाएँ हुई हैं,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 28, 2019 at 6:09pm

आदरणीय सुशील जी बहुत ही सुन्दर रचना..

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 27, 2019 at 9:04pm

आ. सुशील भाई जी, बेहतरीन क्षणिकाए आश्वस्तिकारक हैं.  पर शब्दों की अत्यधिक संक्षिप्तता जरूरी नहीं है.

'रह गया मैं
तुम्हारे पास
कल के एकांत में
उजालों से बचाना
ये निगल न जाए मुझको
तुम्हारे
स्मृति कलश से 

अति सुन्दर अभिव्यक्ति की हार्दिक बधाई.

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on September 27, 2019 at 6:58pm

आदरणीय सुशील सरना जी बहुत ही सुंदर क्षणिकाएं अत्यंत सराहनीय बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
32 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
33 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
36 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
37 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
40 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. जयहिन्द रायपुरी जी,पहली बार आपको पढ़ रहा हूँ.तहज़ीब हाफ़ी की इस ग़ज़ल को बाँधने में दो मुख्य…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सादर अभिवादन तुम्हारी ख़्वाहिशों से याद आया हमें कुछ तितलियों से याद आया मैं वो सब भूल जाना चाहता…"
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service