For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओढ़े बुढ़ापा  जी  रहा  बचपन कोई न हो - ( गजल)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१ २१२१/२२२/१२१२


घर में किसी के और अब अनबन कोई न हो
सूना  पड़ा  हमेशा   ही  आगन  कोई   न  हो।१।


कुछ  तो  सहारा  दो  उसे  हँसने  जरा लगे
होकर निराश  घुट  रहा  जीवन  कोई न हो।२।


झुकना पड़े तनिक तो खुद झुकना सदा ही तुम
यारो  मिलन  की  राह  में  उलझन  कोई न हो।३।


आओ बनायें आज फिर ऐसा समाज हम
ओढ़े बुढ़ापा  जी  रहा  बचपन कोई न हो।४।


जल जाएँ जिसकी आग से मासूम बच्चियाँ
डूबा हवस में  इस  तरह  यौवन कोई न हो।५।


संसद में उनको  जाने  से  अब  के तो रोकिये
कोशिश है जिनकी और अब मंथन कोई न हो।६।


वारिस उन्हीं  के  आजकल  बस्ती  जला रहे
जिनको थी फिक्र आग में गुलशन कोई न हो।७।


हाकिम कोई तो ऐसा अब हमको खुदा तू दे
शासन में जिसके  लूटता  जनधन कोई न हो।८।

मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 931

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 12, 2018 at 12:37pm

आ. भाई फूल सिंह जी, गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by PHOOL SINGH on December 11, 2018 at 5:12pm

सूंदर रचना

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 10, 2018 at 6:49am

आ. भाई आशुतोस जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 9, 2018 at 5:02pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ...इस सार्थक ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 6, 2018 at 9:08pm

आ. भाई छोटेलाल जी, गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 6, 2018 at 9:07pm

आ. भाई राज नवादवी जी, प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on December 6, 2018 at 4:18pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब बेहतरीन गजल के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by राज़ नवादवी on December 5, 2018 at 10:03pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए  दाद के साथ मुबारकबाद. सादर.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 5, 2018 at 6:37pm

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल की प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 5, 2018 at 6:35pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति, प्रशंसा व मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी बहुत शुक्रिया आदरणीय चेतन प्रकाश जी "
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  अच्छी ग़ज़ल हुई, और बेहतर निखार सकते आप । लेकिन  आ.श्री…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.मिथिलेश वामनकर साहब,  अतिशय आभार आपका, प्रोत्साहन हेतु !"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"देर आयद दुरुस्त आयद,  आ.नीलेश नूर साहब,  मुशायर की रौनक  लौट आयी। बहुत अच्छी ग़ज़ल…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
7 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
7 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service