For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


1212 1122 1212 212


खिजा के दौर में जीना मुहाल कर तो सही ।
मेरी वफ़ा पे तू कोई सवाल कर तो सही ।।

है इंतकाम की हसरत अगर जिग़र में तेरे ।
हटा नकाब फ़िज़ा में जमाल कर तो सही ।।

निकल गया है तेरा चाँद देख छत पे ज़रा ।
तू जश्ने ईद में मुझको हलाल कर तो सही ।।

बिखरता जाएगा वो टूट कर शजर से यहां ।
निगाह से तू ख़लिस की मज़ाल कर तो सही ।।

मिलेंगे और भी आशिक तेरे जहां में अभी ।
तू अपने हुस्न की कुछ देखभाल कर तो सही ।।

ऐ अब्र दम है तो सावन सा इस जमीं पे बरस ।
तपिस में जलते गुलों को निहाल कर तो सही ।।

यहां तो कुर्सियां मिलती हैं कातिलों को सनम ।
मुसलमां हिन्दू में दंगा- बवाल कर तो सही ।।

तुझे खुदा भी मैं शिद्दत से मान जाऊं मगर ।
सियाह रात है कोई कमाल कर तो सही ।।

तिज़ारतों का असर है मुहब्बतों पे बहुत ।
तू अपने भाव में थोड़ा उछाल कर तो सही ।।

ज़माना लौट भी सकता है हसरतों के लिए ।
ऐ हुक्मरान सितम पर मलाल कर तो सही ।।

गली से निकला है तू फिर से अजनबी की तरह ।
मेरे अज़ीज़ मेरा भी खयाल कर तो सही ।।

मौलिक अप्रकाशित
नवीन मणि त्रिपाठी

Views: 500

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on October 22, 2018 at 11:38am

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी।बेहतरीन गज़ल।

ज़माना लौट भी सकता है हसरतों के लिए ।
ऐ हुक्मरान सितम पर मलाल कर तो सही ।।

Comment by narendrasinh chauhan on October 19, 2018 at 2:46pm

खूब सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 18, 2018 at 11:33pm

आ0 लक्ष्मण धामी साहब सादर आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 18, 2018 at 11:32pm

आ0 कबीर सर सादर नमन के साथ तहेदिल से शुक्रिया सर । आपके आदेश का अविलम्ब पालन होगा । सादर नमन ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 18, 2018 at 10:31pm

आ. भाई नवीन जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on October 18, 2018 at 10:25pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

4थे शैर के सानी में 'खलिस' को "ख़लिश" कर लें ।

छटे शैर के सानी में 'तपिस' को "तपिश" कर लें ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 17, 2018 at 3:57pm

आ0 कबीर सर की महत्व पूर्ण इस्लाह का आकांक्षी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
4 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service