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*धुआँ (सरसी छःन्द)*

आसमान में धुआँ धुआँ है, हुए सभी बेहाल |
व्याकुलता बढ़ती जाती है, जीना हुआ मुहाल ||

काली धुंध सड़क पे छायी, मुश्किल चलनी राह |
नर नारी सबके ही मुख से, निकल रही है आह ||

अस्त व्यस्त सारा जन जीवन, सुनता कौन पुकार |
आपस में कर खींचातानी,बढ़ा रहे तकरार ||

जिम्मेदारी भूल गए हैं, सभी बजाते गाल |
दिल के भीतर कालापन है, बिगड़ गयी है चाल ||

धुँधलायी नित बढ़ती जाती,उठता रोज सवाल |
फिक्र नहीं है यहाँ किसी को, मन में यहीं मलाल ||

आज प्रदूषण की चक्की में, पिसते हैं इंसान |
घुट घुट कर मरते जाते हैं, बालक वृद्ध जवान ll

धुँधली छाया मिट जाएगी, करें सभी मिल काम l
घर घर में चेतना जगाएं, दें अच्छा पैगाम ||

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Samar kabeer on November 15, 2017 at 5:09pm
जनाब डॉ.छोटेलल सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा सरसी छन्द रचे आपने ,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
पहले छन्द के पहले पद में 'बेहाल'और 'मुहाल'की तुकान्तता सही नहीं है,देखियेगा ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 15, 2017 at 3:54pm
वाह आदरणीय बहुत उम्दा रचना..बधाई
Comment by नाथ सोनांचली on November 15, 2017 at 1:53pm
आद0 डॉ भैया छोटेलाल सिंह जी सादर अभिवादन, समसामयिक विषय पर सरसी छःन्द में बढ़िया प्रस्तुति, बधाई स्वीकार करें। सादर
Comment by Sushil Sarna on November 15, 2017 at 1:41pm

वाह आदरणीय डॉ छोटेलाल जी ज्वलंत समस्या पर सरसी छंद में सुंदर प्रस्तुति।  हार्दिक बधाई। 

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 15, 2017 at 11:25am
आदरणीय के पी मंडल जी आपने हमें उत्साहित किया, आपको तहे दिल से शुक्रिया
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 15, 2017 at 11:22am
आदरणीय विजय निकोर जी आपने कविता को मान दिया आपका बहुत बहुत आभार
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 15, 2017 at 11:21am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब आपके उत्साह वर्धन से मन प्रसन्न हुआ आपको दिल से साधुवाद
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 15, 2017 at 11:17am
आदरणीय सलीम रजा साहब आपने उत्साह वर्धन किया सादर नमन
Comment by Mohammed Arif on November 15, 2017 at 10:59am
आदरणीय छोटे लाल जी आदाब, पर्यावरणीय चिंता को रेखांकित करते सामयिक सरसी छंद ।हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by vijay nikore on November 14, 2017 at 7:30pm

अच्छी रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय छोटेलाल सिहं जी।

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