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परिवर्तन (सरसी छन्द)

प्रचंड लीला परिवर्तन की, सभी झेलते मार
पुष्प सदा जो खिलते रहते, कम्पित होती डार।1।

भृंग मधुर रव तान सुनाते, करते वे मदहोश
गम में सभी सहन करते हैं, परिवर्तन आक्रोश।2।

हरित पर्ण पर हिमकन शोभित, नर्तन करती रोज
परिवर्तन का तांडव पल में, धूमिल करता ओज ।3।

सदा बाग का माली हँसता, सुषमा देख अपार
पतझड़ में नित रुदन करे वह, दिखता हाहाकार।4।

परिवर्तन की विषम ज्वाल में, जलता राज समाज
चीख पुकार सुनाई देती, नहीं काल को लाज ।5।

बचपन की आभामय रौनक, हरपल हँसी बिखेर
पीला होकर गात जरा में, निशदिन होता ढेर ।6।

मृदुल होंठ मुस्कान झलकती, लद यौवन के भार
दुख की बदली जब छाती है, हँसी खुशी बेकार ।7।

चार नयन मिलते हैं जिस पल, रोम रोम में प्यार
गम में आठ पहर है रोता, दिल में चुभे कटार ।8।

जन्म घड़ी में खुशियाँ छायी, उत्सव में परिवार
मृत्यु गाल में थमती साँसें दुखमय ये संसार ।9।

पावस नद की उफान थमती, आता ग्रीष्म कराल
जीवन मरु सा दिखने लगता, डस जाता है व्याल।10।

नियति नटी की सच्चाई को, करे सभी स्वीकार
चमक चाँदनी धूमिल होगी, जैसे काँस सिवार।11।


मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on December 1, 2017 at 6:48pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपके उत्साह वर्धन से मन प्रसन्न हुआ ,आपका दिल से आभार
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 1, 2017 at 1:30pm
बेहतरीन छंद हुए हैं हार्दिक बधाई ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 30, 2017 at 9:52pm
बेहतरीन छंद , हार्दिक बधाई ।
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 28, 2017 at 10:10pm
परमादरणीय आरिफ साहब आपके उत्साह वर्धन से मन मगन हुआ आपका दिल से आभार
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 28, 2017 at 10:09pm
परमादरणीय समर साहब शत शत नमन करते हुए तहे दिल से आभार प्रकट करता हूँ ,आपके उत्साह वर्धन से मार्गदर्शन से लेखनी सफल हुई ,पुनः दिल से आभार
Comment by Samar kabeer on November 28, 2017 at 5:15pm
जनाब डॉ.छोटेलाल सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा सरसी छन्द हुए,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on November 28, 2017 at 7:53am
आदरणीय छोटे लाल जी आदाब,
बहुत ही सुंदर सरसी छंद । प्रकृति के और मानव के हर रंग को उकेर दिया है आपने इश छंदों में । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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