For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक देश (अतुकांत कविता)/ शेख़ शहज़ाद उस्मानी

अपनों से ही जुदा
अपनों से ही लुटता
बहुचर्चित एक देश।

एक देश का ग़ुलाम
हथियार पाकर है बदनाम
ख़ुद बेलगाम एक देश।

ख़ुद को ख़ुद से भुलाता
मज़हब की आड़ लेता
कट्टरों का ग़ुलाम एक देश।

आतंक की ले पहचान
आतंक की खुली दुकान
पलता, पालता एक देश।

एक देश का है टुकड़ा
'आधा' खाकर, 'आधे' पर अकड़ा
छोटे से छोटा होता एक देश।

**

[2]

अपनों से ही संवरता
अपनों को ही उलझाता
बहुचर्चित एक देश।

विदेशी कंपनियों का ग़ुलाम
स्वदेशी से भटके अवाम
विकास पथ पर एक देश।

ख़ुद को ख़ुद से लड़ाता
एक मज़हब की आड़ लेता
ज़िद्दी तत्वों से बाधित एक देश।

हिन्द, हिन्दी और हिन्दू
विवादों में उलझे सिन्धु
हिन्दू बनता, बनाता एक देश।

मंदिर-मस्जिद का लफड़ा करता
धर्मांतरण से ख़ुद ही जकड़ा रहता
आस्था खोकर, अपनों को खोता एक देश।

***

[3]

कहे ख़ुद को दुनिया का राजा
सदा आतंक की मिसाल ताज़ा
दूसरों के घर में घुसता एक देश।

कठपुतली का खेल दिखाता
वाह-वाही से मन बहलाता
सेवकों को ख़ूब पटाता एक देश।

तकनीकी का रौब जमाता
मस्तिष्कों का व्यापार बढ़ाता
दुनिया को ठगता एक देश।

दूसरों से ही पनपता
दूसरों को ही दबाता
डरता, डराता एक देश।

पर्यावरण को दे चुनौती
धरा, अंतरिक्ष इसकी बपौती
उड़ता, उड़ाता एक देश।

****
[मौलिक व अप्रकाशित]

Views: 542

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 9, 2016 at 8:38pm
आपकी मंच पर बढ़ती सक्रियता के साथ मेरी रचना पर उपस्थित होने व स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीया अलका चांगा जी।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 9, 2016 at 8:36pm
रचना के गहरे भावों के अनुमोदन के साथ स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरमा प्रतिभा पाण्डेय साहिबा। शायद मैं यह स्पष्ट करने में सफल नहीं हो सका कि दो पड़ोसी मुल्कों के अलावा तीसरे 'एक देश' पर भी रचना में कटाक्ष किया गया है!!!
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 9, 2016 at 8:33pm
मेरे इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर रचना का अनुमोदन करने व प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सुशील सरना जी, आदरणीय समर कबीर साहब व आदरणीया कल्पना भट्ट जी।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 9, 2016 at 8:31pm
रचना पटल पर समय देकर प्रयास के अनुमोदन व हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब सौरभ पाण्डेय साहब।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 8, 2016 at 6:00pm

बहुत अच्छी लगी यह कविता आदरणीय |  हार्दिक बधाई |

Comment by pratibha pande on September 8, 2016 at 11:41am

दोनों पड़ोसियों पर सही कटाक्ष करती और अपनी कमियों की तरफ भी इशारा करती  प्रभावशाली रचना    हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय उस्मानी जी 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 7, 2016 at 11:24pm

बहुत अच्छी लगी यह कविता आपकी आदरणीय शहजाद भाई  | हार्दिक बधाई |

Comment by Sushil Sarna on September 6, 2016 at 3:08pm

वाह आदरणीय शेख उस्मानी साहिब वर्तमान को जीती एक सार्थक प्रस्तुति।  हार्दिक बधाई स्वीकार करें। 

Comment by Samar kabeer on September 6, 2016 at 3:05pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,बहुत अच्छी लगी आपकी अतुकांत कविता,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 6, 2016 at 10:46am

बहुत खूब, आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी. तथ्यों को तार्किकता के साथ आपने रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है. 

इस कविता को रचनाकार के प्रयास का हिस्सा मान कर अवश्य अनुमोदन कर रहा हूँ. 

शुभेच्छाएँ.. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर अभिवादन बेहतरीन ग़ज़ल हुई है वाह्ह्हह्ह्ह्ह! शैर दर शैर दाद हाज़िर है मतला…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर अभिवादन उम्द: ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई शैर दर शैर स्वीकार करें!…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी, सादर आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service