For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दर पर किसे रोकना चाहते हो?-ग़ज़ल

22 122 122 122

हँसती निगाहें अधर मुस्कुराते
सच सच बताओ कि क्या चाहते हो?

रेशम सी ज़ुल्फ़ें हैं उड़तीं हवा से
बोलो किसे बांधना चाहते हो?

गालों पे ये जो भवर है तुम्हारे
किसको डुबाना भला चाहते हो?

बाँहों पे खुद की टिका करके सर तुम
दर पर किसे रोकना चाहते हो?

बोलो अदाओं की गिराकर
करना किसे तुम फ़ना चाहते हो?

मौलिक-अप्रकाशित

Views: 549

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 9, 2016 at 10:06am
आदरणीय रवि सर सादर प्रणाम। बिजली शब्द छूट गया है
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 9, 2016 at 10:05am
आदरणीय राहिला जी सादर आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 9, 2016 at 10:04am
आदरणीय महेंद्र कुमार जी सादर आभार।
Comment by Ravi Shukla on July 8, 2016 at 11:08am

आदरणीय पंकज कुमार मिश्र जी. बहुत-बहुत बधाई आदरणीय अशोक जी के कथन पर ध्‍यान दीजिये सही में बिजली कही रह गई है । हा हा हा टंकण त्रुटि होगी अशोक जी सही हा जाएगी

Comment by Rahila on July 8, 2016 at 10:53am
बेहद दिलकश ग़ज़ल हुयी आदरणीय सर जी!बहुत सुंदर।सादर
Comment by Mahendra Kumar on July 7, 2016 at 9:36pm
इस ग़ज़ल के लिये हार्दिक बधाई स्वीकार करें पंकज जी, अच्छे अशआर हुए हैं, सादर!
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 7, 2016 at 8:29pm
आदरणीय सुशील सर सादर प्रणाम, बहुत बहुत आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 7, 2016 at 8:29pm
आदरणीय अशोक सर सादर प्रणाम और हार्दिक आभार। सही पकडे हैं-बिजली शब्द आते ही यूपी का पॉवर कट सिस्टम लागू हो जाता है।☺☺☺☺☺☺
Comment by Sushil Sarna on July 7, 2016 at 1:48pm

बाँहों पे खुद की टिका करके सर तुम
दर पर किसे रोकना चाहते हो?

बोलो अदाओं की गिराकर
करना किसे तुम फ़ना चाहते हो?

वाह अादरणीय पंकज जी बहुत दिलकश अशअार हुए हैं ... शेर दर शेर दाद कबूल फरमाएं।

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 7, 2016 at 11:52am

वाह ! बहुत सुंदर आदरणीय पंकज कुमार मिश्रा जी. बहुत-बहुत बधाई. अंत में बिजली कहीं अटक गई है.देख लें.सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
" आ. महेन्द्र कुमार जी, 1." हमदर्द सारे झूठे यहाँ धोखे बाज हैं"  आप सही कह रहे…"
16 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  दयावान जी मेधानी, कृपया ध्यान दें कि 1. " ये ज़िन्दगी फ़ज़ूल,  वाक्यांश है,…"
40 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"कोई बात नहीं आदरणीय विकास जी। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वह ज़्यादा ज़रूरी है। "
45 minutes ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हार्दिक आभार आपका महेंद्र कुमार जी। हाल ही में आंख का ऑपरेशन हुआ है। अभी स्क्रीन पर ज़ियादा समय नहीं…"
51 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"अब बेहतर है। बस जगमगाती को जगमगाते कर लें। "
52 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय mahendra kumar जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने वक़्त निकाला ग़ज़ल तक आए उसे सराहा बहुत…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई महेंद्र जी, सादर अभिवादन। गजल पर आपकी उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार। आपके सुझाव उत्तम हैं।…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"दिल से आभारी हूँ आदरणीय दयाराम जी. बहुत शुक्रिया. "
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय गजेन्द्र जी. आभारी हूँ. यदि थोड़ा स्पष्ट सुझाव मिल जाता तो बड़ी कृपया होती.…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. दिल से आभारी हूँ."
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीया मंजीत कौर जी. आभारी हूँ."
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, सादर अभिवादन! अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. एक जिज्ञासा है, क्या…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service