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बात वही गंदी जो सब पर थोपी जाती है (ग़ज़ल)

बह्र : २२ २२ २२ २२ २२ २२ २

 

अच्छी बात वही जिसको मर्जी अपनाती है

बात वही गंदी जो सब पर थोपी जाती है

 

मज़लूमों का ख़ून गिरा है, दाग न जाते हैं

चद्दर यूँ तो मुई सियासत रोज़ धुलाती है

 

रोने चिल्लाने की सब आवाज़ें दब जाएँ

राजनीति इसलिए प्रगति का ढोल बजाती है

 

फंदे से लटके तो राजा कहता है बुजदिल

हक माँगे तो, जनता बद’अमली फैलाती है

 

सारा ज्ञान मिलाकर भी इक शे’र नहीं होता

सुन, भेजे से नहीं, शाइरी दिल से आती है

 --------------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 2, 2016 at 4:16pm
शुक्रिया आदरणीय मिथिलेश जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 2, 2016 at 4:16pm
शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 2, 2016 at 4:15pm
शुक्रिया जनाब समर साहब
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 2, 2016 at 4:15pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय तेज वीर जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 20, 2016 at 12:03am

आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, बहुत बेहतरीन ग़ज़ल कही है. दाद ओ मुबारकबाद हाज़िर है.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 19, 2016 at 6:12am

बहुत खूब आ० भाई धमेन्द्र जी ..हार्दिक बधाई l

Comment by Samar kabeer on January 18, 2016 at 10:37am
जनाब धर्मेन्द्र कुमार जी आदाब,बहुत शानदार ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं |
तीसरे शैर का सानी मिसरा लय में नहीं लगता,देख लीजियेगा |
Comment by TEJ VEER SINGH on January 18, 2016 at 9:54am

हार्दिक बधाई आदरणीय धर्मेंद्र कुमार सिंह जी!बहुत शानदार गज़ल!आज के सियासती माहौल पर बेहतरीन कटाक्ष!पुनः बधाई!

इतने नांदां तो नहीं हम भी कि तेरी बात ना समझे,

कुछ बातें इल्म से नहीं, अनुभव से समझी जाती हैं!

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