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सच्चा आनंद – (लघुकथा ) -

  सच्चा आनंद – (लघुकथा ) -

 "शुक्ला जी,सुना है आप पूरे नव रात्र छुट्टी पर हो"!

"सही सुना है आपने गौतम जी"!

"ऐसा क्या कठोर  व्रत पूजा पाठ   कर रहे हो कि पूरे नौ दिन की छुट्टी ले ली, व्रत उपवास तो हम भी करते हैं,पर छुट्टी खराब करके नहीं"!

"कुछ ऐसा ही  व्रत कर रहा हूं इस बार "!

"कुछ विस्तार से बताओगे"!

"गौतम जी अपने कार्यालय के पीछे जो कुष्ठ रुग्णालय है, उसमें दस कुष्ठ रोगी हैं!मैं पूरे नव रात्र उस रुग्णालय में अपनी सेवायें दे रहा हूं!प्रातः सात बजे से रात आठ बजे तक!उन रोगियों की साफ़ सफ़ाई करना,वस्त्र बदलना, उनके घावों पर दवा लगाना, उनको अपने हाथों से चाय ,नाश्ता ,खाना खिलानाउनको अखबार पढकर सुनाना  इत्यादि"!

"शुक्ला जी,यह तो बडे ज़ोखिम का काम है"!

"लेकिन सच्चा आनंद भी इसी में है"!

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on October 22, 2015 at 1:43pm

हार्दिक आभार आदरणीय ओमप्रकाश जी, कांता जी, मिथिलेश जी!

Comment by kanta roy on October 22, 2015 at 6:21am
वाकई में सच्चा आनंद तो इसी में है । व्रत और साधना की सार्थकता बतलाती बेहतरीन लघुकथा । बधाई आपको आदरणीय तेजवीर जी ।
Comment by Omprakash Kshatriya on October 21, 2015 at 8:06pm

TEJ VEER SINGH  जी आप की व्रत लघुकथा व्रत के नए रूप से बखूबी दर्शन करा गई. बधाई इस सुंदर व सार्थक लघुकथा के लिए.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 21, 2015 at 3:40pm

आदरणीय तेजवीर जी बहुत ही उम्दा लघुकथा हुई है. कथ्य का मर्म प्रभावित भी करता है, प्रेरित भी. बधाई इस बेहतरीन प्रस्तुति पर 

Comment by TEJ VEER SINGH on October 21, 2015 at 11:58am

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी!

Comment by Nita Kasar on October 20, 2015 at 8:29pm
सच्चा आनंद तो परोपकार में ही निहित होता है सार्थक सारगर्भित कथा के लिये बधाई आद० तेजवीर सिंह जी ।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 20, 2015 at 1:26pm

हार्दिक आभार आदरणीय प्रतिभा जी

Comment by pratibha pande on October 20, 2015 at 11:51am

iइतने पवित्र व्रत की प्रेरणा अगर हर किसी को मिल जाय तो ही सही अर्थों मेंसार्थक होगी नवरात्रा  , बहुत ही अवसर अनुकूल और सार्थक रचना  हुई है आपकी आदरणीय ,हार्दिक बधाई आपको 

Comment by TEJ VEER SINGH on October 19, 2015 at 9:20pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 19, 2015 at 7:12pm
वाह, बहुत ही समसामयिक प्रेरक उम्दा उत्कृष्ट रचना आदरणीय Tej Veer Singh जी।बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ आपको।

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