For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शायद हो ख्वाब

तुम्हे व्योम में उड़ते देखा

तुम्हारे बाल बल खाते

और

लहराता प्यार का आँचल

उड़ने की होती है अपनी ही मुद्रा

परियो के अनुराग सी

नैनों के राग सी

प्रात के विहाग सी

इस उड़ने में नहीं कोई स्वन   

या पद संचालन की अहरह धुन

उड़ते ही रहना मीत

धरणि पर न आना

रेशम सी किरणों पर मधु-गीत गाना

दूर तो रहोगी, पर दृग-कर्ण-गोचर

पास आओगी तो

फिर एक अपडर

धरती पर टिकते ही परी जैसे पांव

हाँ, मुझे मिलेगी आँचल की छाँव

कर देगी घायल,

पायल की साज

ख्वाब मेरे तोड देगी

वह आवाज

तब क्या रह पायेगा जीवन शेष

सोच मेरे निर-अवयव मेरे निर्विशेष !

(मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 484

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 30, 2015 at 4:39pm

उड़ने की होती है अपनी ही मुद्रा

परियो के अनुराग सी

नैनों के राग सी

प्रात के विहाग सी

इस उड़ने में नहीं कोई स्वन   

या पद संचालन की अहरह धुन
आदरणीय डॉ गोपाल जी सुन्दर रचना अच्छी कल्पना
भ्रमर५

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 20, 2015 at 12:24pm

पंक्तियों में बहुत सुंदर भाव उभारें है आदरणीय डा.गोपाल जी.

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 20, 2015 at 7:47am

सुंदर भाव आदरणीय !.....

तुम्हारे बाल बल खाते

और

लहराता प्यार का आँचल

उड़ने की होती है अपनी ही मुद्रा

Comment by shree suneel on April 20, 2015 at 2:02am
आदरणीय डा0 गोपाल नारायण सर, आपकी कविता से हिन्दी रचनाओं को पढ़ने का सुख प्राप्त होता रहता है. इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई.
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 19, 2015 at 10:20pm
उड़ते ही रहना मीत
धरणि पर न आना
रेशम सी किरणों पर मधु-गीत गाना
दूर तो रहोगी, पर दृग-कर्ण-गोचर
वाह ! क्या अभिलाषा है, बहुत ही सुन्दर, बधाई आदरणीय डॉ O गोपाल नारायण जी , सादर।
Comment by Samar kabeer on April 19, 2015 at 2:44pm
जनाब डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,आदाब,ख़ूबसूरत शब्दों से सजी हुई भाव पूर्ण रचना के लिये दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबल फ़रमाऐं |
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 19, 2015 at 1:54pm

सुन्दर कविता पर बधाई आदरणीय!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
5 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service