For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोई मुझे नेता बना दे---डॉo विजय शंकर

काश कोई मुझे नेता बना दे ,
अपने हाथों से उठाये
और भीड़ में गिरा दे |
फिर देखना , कैसे उठता हूँ मैं ,
हाय कोई एक बार तो गिरा दे ,
कोई तो मुझे नेता बना दे |
मेरा प्रोफाइल देख ले,
रिज्यूमे भेज देता हूँ ,
फोटो भी लगा देता हूँ,
क्या-क्या किया है , बता देता हूँ ,
ऐसा क्या है , मैं कर नहीं सकता ,
लोग हैरत में आ जायेंगें ,
जो कर के दिखा सकता हूँ |
बस एक बार , एक बार ,
मुझे उठाओ , एक बार मुझे उछालो ,
फिर देखना , क्या क्या दिखाऊंगा ,
बस मैं ही मैं नज़र आऊंगा।
जागतों को नज़र आऊंगा ,
सोतों के सपने में आऊंगा ,
मेरे ही , बस मेरे ही चर्चे होंगें ,
मेरे बैनर , मेरी ही तस्वीरें होगीं ,
मेरे ही बुत होंगें ,
सब मुझको ही जानेगें ,
तब सब मुझको पहचानेगें।
मैं होऊंगा , मैं होऊंगा ,
बस मैं ही मैं होऊंगा।
एक बार , बस , एक बार ,
कोई मुझे नेता बना दे ,

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 655

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 6, 2015 at 11:08am
आदरणीय लक्षमण रामानुज लडीवाला जी, रचना को पसंद करने के लिए आभार, बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद, सादर।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 6, 2015 at 10:57am

काश कोई मुझे नेता बना दे -  वाह वह  !  भावपूर्ण कथ्य रचित रचना के लिए  बधाई श्री विजय शंकर जी 

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 5, 2015 at 8:01pm
आदरणीय अनुराग गोयल जी, बहुत बहुत धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 5, 2015 at 7:59pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, आपकी सद्भावनाओं को नमन , रचना पसंद आने और आपकी बधाई हेतु बहुत बहुत धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 5, 2015 at 7:39pm
आदरणीय विनय कुमार सिंह जी, रचना पसंद आने और आपकी बधाई हेतु धन्यवाद, सादर।
Comment by Anurag Goel on February 5, 2015 at 5:39pm

तथ्यों का सुन्दर मिश्रण बधाई 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 5, 2015 at 3:25pm

 वैसे गिरिराज सर की बात सही है...."आप ऐसे ही अच्छे हैं , काहे नेता वेता बनना चाह रहे हैं ".....हा हा हा ...सुन्दर रचना आदरणीय डॉ विजय शंकर सर हार्दिक बधाई आपको ! सादर

Comment by विनय कुमार on February 5, 2015 at 12:43pm

सुन्दर रचना आदरणीय डॉ विजय शंकर जी , बधाई..

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 4, 2015 at 11:02pm
प्रिय मिथिलेश जी, रचना को पसंद करने लिए आभार, बधाई के लिए धन्यवाद ,सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 4, 2015 at 11:00pm
आदरणीय मोहन बेगोवाल जी, रचना स्वीकारने एवं उसकी प्रशस्ति के लिए आभार, बधाई के लिए धन्यवाद ,सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
5 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
23 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service