For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल----क़भी सोचा नहीं मैंने ,तेरे रुख़सार से आगे

1222 1222 1222 1222
--------------------------------------------------
कोई चाहत नहीं मेरी ,तेरे इक़ प्यार से आगे
क़भी सोचा नहीं मैंने ,तेरे रुख़सार से आगे
---------
क़भी का जीत लेता मैं,ज़माने को मेरे दम पर
मग़र वो जीत मिलनी थी,तेरी इक हार से आगे
---------
हरिक ख़्वाहिश अधूरी है,इन्हे करदे मुकम्मल तू
क़भी तो आज़मा ले तू ,मुझे इनकार से आगे
---------
जमाने की हरिक़ खुशियाँ ,तेरे कदमों तले रख़ दूँ 
तेरा हर ख़्वाब हो जाऊँ,तेरे इक़रार से आगे
---------
कोई पागल कहे मुझको,कोई मारे मुझे पत्थर
नहीं चाहूँगां मैं फ़िर भी मेरे दिलदार से आगे

------उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित


 
 



Views: 449

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 2, 2015 at 8:12pm
आदरणीय कटारा जी बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार करें।
Comment by somesh kumar on January 1, 2015 at 11:51pm

सुंदर गज़ल हुई भाई जी ,नव वर्ष एवं इस सफल प्रयास पर हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2015 at 9:31pm

आदरणीय उमेश कटारा भाई , अच्छी गज़ल कही है , सभी अश आर  सुन्दर कहे हैं , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by Hari Prakash Dubey on January 1, 2015 at 8:03pm

क़भी तो आज़मा ले तू ,मुझे इनकार से आगे......आदरणीय  उमेश कटारा जी बहुत खूब ..नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ हार्दिक बधाई !

Comment by khursheed khairadi on January 1, 2015 at 2:13pm

कोई पागल कहे मुझको,कोई मारे मुझे पत्थर
नहीं चाहूँगां मैं फ़िर भी मेरे दिलदार से आगे

आदरणीय उमेश जी सुन्दर ग़ज़ल हुई है |नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ साथ इस उम्दा ग़ज़ल पर ढेरों दाद कबूल फरमावें |सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 1, 2015 at 1:50pm

आदरणीय उमेश जी ..इस सुंदर रचना पैर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारे करें सादर ..नव बर्ष  मंगलमय हो ..

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 1, 2015 at 1:04pm

आदरणीय कटारा  जी

नीचे  गलत टिप्पणी की  क्षमा चाहता हूँ i

कहूं क्या  मैं कटारा जी अब इन अशआर से आगे i  सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 1, 2015 at 12:59pm

कहूं क्या मैं कि अब मिथिलेश जी इन अशआर के आगे

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 1, 2015 at 9:41am
सुन्दर गजल आदरणीय!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई जी सादर नमस्कार जी। अहा! क्या कहने भाई जी बेहद शानदार और जानदार ग़ज़ल हुई है। अभी…"
3 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
8 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
9 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
10 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service