For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सबने पूंछा आदमी को क्या हुआ है ?

२१२२      २१२२         २१२२ 

सबने पूंछा आदमी को क्या हुआ है ?

क्या बताता आदमी को क्या हुआ है ?

खूबसूरत जिन्दगी बख्सी खुदा ने 

गम ने मारा आदमी को क्या हुआ है ?

कोख में पाला हैं जिसने आदमी को 

उसको लूटा आदमी को क्या हुआ ?

अब नहीं महफूज बहनें भी वतन में 

सबने सोचा आदमी को क्या हुआ है ?

जिन्दगी की दौड़ में हो बेखबर यूं 

फर्ज भूला आदमी को क्या हुआ है ?

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 555

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 10, 2014 at 9:33pm

जिन्दगी की दौड़ में हो बेखबर यूं 

फर्ज भूला आदमी को क्या हुआ है ?

बेहतरीन रचना!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2014 at 8:42am

आदरणीय आशुतोष भाई , बहुत बड़ी रदीफ़ ले कर आपने खुद को बाँधा लिया है , इसका निर्वहन सच में कठिन है , कुछ कमियों के साथ जो की आदरनीय सौरभ भाई ने इंगित किया है , अच्छी ग़ज़ल कही है | आपको बधाइयाँ |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 10, 2014 at 1:15am

सभी ने अपने हिसाब से ग़ज़ल पर अपनी बातें कहीं. लेकिन मेरी दिक्कत काफ़िया निर्वहन को लेकर अधिक है. ’आदमी को क्या हुआ है’ कई शेर में आरोपित सा लगा है, आदरणीय. यह मेरी समझ की सीमा भी है.

मतले के बाद दूसरे शेर में काफ़िया का है छूट गया है.

Comment by Neeraj Nishchal on August 7, 2014 at 11:09pm
एक महान चिन्तक ने कहा है आकाश और आदमी की मूढता का कोई अन्त नहीँ और मूढता बस इतनी कि हर आदमी खुद को बहुत समझदार समझता है कोई मूर्ख भी खुद को मूर्ख मानने को राजी नहीँ है तो जो थोडा बहुत बुद्धि मान हैँ वो तो अन्धे हो गये उतनी सी बुद्धिमानी मेँ तो वो समझायेंगे तो सबको पर समझने की किसी की भी राजी नहीँ हैँ
बहरहाल आपकी इस बहुत खूब सूरत गजल के लिये आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय आशुतोष जी
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 7, 2014 at 6:15pm

आदरणीय भुवन जी ..रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by भुवन निस्तेज on August 7, 2014 at 6:02pm

कोख में पाला हैं जिसने आदमी को 

उसको लूटा आदमी को क्या हुआ ?

क्या बात Dr Ashutosh Mishra साहब मजा आ गया … 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 7, 2014 at 5:01pm

आदरणीय विजय जी ..आपके स्नेहिल और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 7, 2014 at 3:43pm
बहुत सुन्दर आदरणीय डॉ o आशुतोष मिश्रा , इतनी सुन्दर कि मन कुछ वही बोल उठा :
इस कदर वो भटका हुआ है कि खुद ही
पूछता है आदमी को क्या हुआ है ।
आदमी ना आदमी बिलकुल रह गया
पूछता है आदमी को क्या हुआ है ।
बहुत बहुत बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
11 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
12 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service