For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : सूखते नल के आँसू टपकने लगे

बह्र : २१२ २१२ २१२ २१२

 

सूखते नल के आँसू टपकने लगे

देख छागल के आँसू टपकने लगे

 

भूख से चूक पत्थर गिरे याँ वहाँ

देखकर फल के आँसू टपकने लगे

 

था हवा की नज़र में तो बरसा नहीं

किंतु बादल के आँसू टपकने लगे

 

आइने ने कहा कुछ नहीं इसलिए

रात काजल के आँसू टपकने लगे

 

घास कुहरे से शब भर निहत्थे लड़ी

देख जंगल के आँसू टपकने लगे

----------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 16, 2013 at 2:50pm

आदरणीय धर्मेन्द्रजी, श्रीमद्भग्वद्गीता में भगवान् कहते हैं न ..

निर्ममो निरंहकारः स शान्तिम् अधिगच्छति.. .

शुभ-शुभ

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 16, 2013 at 2:29pm

नीलेश जी, राम शिरोमणि जी, अरुण जी, सुशील जी, शिज्जू जी, अनन्त जी, गिरिराज जी, उमेश जी, राजेश कुमारी जी, गोपाल नारायण जी एवं अन्नपूर्णा जी, ग़ज़ल पसंद करने के लिए आप सभी का आभारी हूँ 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 16, 2013 at 2:26pm

आदरणीय सौरभ जी, आपकी बेबाक राय के लिए तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। भविष्य में भी आपसे इसी निर्मम स्नेह की अपेक्षा रहेगी।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 13, 2013 at 11:36pm

भाई जी .. रदीफ़ जो लिया उसके लिए तो वाह वाह !

लेकिन जो कुछ हुआ या हो पाया है, उसपर.. आँसू टपकने लगे. .. बुरा न मानियेगा. .. .

जय हो..

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 10, 2013 at 9:44pm

वाह वाह .. क्या ख़ूब ग़ज़ल कही है ... ढेरों बधाईयाँ 

Comment by ram shiromani pathak on November 10, 2013 at 8:12pm

आदरणीय धर्मेन्द्र जी,सुन्दर गज़ल के लिये बधाई.............


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 10, 2013 at 9:29am

आदरणीय धर्मेन्द्र जी, हमेशा की तरह खूबसूरत ग़ज़ल सुनाने के लिए आभार................

Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 8:48pm

इस शानदार प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई आ0 धर्मेन्द्र जी.....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 9, 2013 at 4:50pm

बहुत बढ़िया आदरणीय धर्मेन्द्र जी बधाई स्वीकार करें

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 9, 2013 at 3:35pm

वाह वाह आदरणीय क्या कहने लाजवाब बेहतरीन ग़ज़ल ढेरों बधाइयाँ स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
8 minutes ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
19 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service